दिवंगत बॉलीवुड एक्टर-डायरेक्टर सतीश कौशिक के जीवन से लें यह प्रेरणा
मिस्टर इंडिया का कैलेंडर हो या बड़े मियां छोटे मियां का शराफत अली, अपने हर किरदार से लोगों के दिलों पर राज़ करने वाले बॉलीवुड के जाने-माने एक्टर-डायरेक्टर सतीश कौशिक के निधन की खबर ने सभी को दुखी कर दिया है। हार्ट अटैक की वजह से 66 साल की उम्र में सतीश का निधन हो गया। वैसे तो सतीश कौशिक ने अपनी शानदार कॉमिक टाइमिंग से सभी को खूब हंसाया लेकिन उनकी पर्सनल लाइफ हमेशा उतार-चढ़ाव से भरी रही।
हर घर में अपनी जगह बनाने वाले सतीश कौशिक ने अपनी जगह यूं ही नहीं बना ली थी, इसके लिए उन्होंने बहुत संघर्ष किया है। अपने हर एक जोक से सभी को हंसाने वाले सतीश कौशिक जी का जीवन सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत है।
तो आइए जानते हैं कैसे सभी को हंसाने वाले सतीश कौशिक के जीवन से आप भी प्रेरणा ले सकते हैं।
सतीश चंद्र कौशिक का जीवन परिचय।
सतीश चंद्र कौशिक एक भारतीय अभिनेता, निर्देशक, निर्माता, कॉमेडियन और पटकथा लेखक थे।
- जन्म: 13 अप्रैल 1956, महेंद्रगढ़, हरियाणा
- निधन: 9 मार्च 2023, गुरुग्राम, हरियाणा
- पत्नी: शशि कौशिक (M 1985–2023)
- बच्चे: 2 (वंशिका कौशिक, शानू कौशिक)
- अवार्ड: हास्य भूमिका में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार, आदि।
एक्टर बनने के लिए किया कड़ा संघर्ष
13 अप्रैल 1956 को हरियाणा के एक गांव महेंद्रगढ़ में जन्में सतीश कौशिक ने कॉलेज की पढ़ाई दिल्ली से की थी। उन्हें शुरू से ही नाटक करना, लोगों को एंटरटेन करना बहुत पसंद था। सतीश कौशिक ने 1972 में किरोड़ीमल कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की पढाई की, वहीं से उन्होंने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में एडमिशन ले लिया। उन्होंने भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्था से अपने करियर की शुरुआत की। एक्टर बनने के लिए भी उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। वे एक्टर बनने के लिए मुंबई गये, लेकिन उनके शुरूआती समय में एनएसडी और एफटीआईआई से पढ़ाई पूरी करने के बाद भी उन्हें काम नहीं मिल रहा था। पेट पालने के लिए करीब एक साल तक एक कंपनी में नौकरी की, फिर उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 1983 में फिल्म मासूम से बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर की।
विपरीत परिस्थितियों में भी नहीं खोया हौसला
सतीश कौशिक को बॉलीवुड में बतौर डायरेक्टर काम फिल्म "रूप की रानी चोरों का राजा" से मिला था। ये फिल्म बोनी कपूर ने प्रोड्यूस की थी, जिसमें अनिल कपूर-श्री देवी लीड रोल में थे। ये उस जमाने की सबसे महंगी फिल्म थी। लेकिन भारी-भरकम बजट और अच्छी स्टार कास्ट के बाद भी फिल्म चली नहीं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ये वो समय था जब फिल्म की असफलता को देखकर सतीश के मन में सुसाइड तक के ख्याल आने लगे थे। लेकिन वे टूटे नहीं, उन्होंने फिर से कमबैक किया। फिल्मों में डायरेक्शन के साथ उन्होंने स्क्रीन पर कॉमेडी करके भी लोगों का दिल जीता। 1987 में आई फिल्म मिस्टर इंडिया के कैलेंडर वाले रोल से वे लोगों के दिलों में छा गए जिसके बाद सतीश कौशिक ने करीब तीन दशक तक फिल्म इंडस्ट्री पर राज किया। उन्हें ‘राम-लखन’ और ‘साजन चले ससुराल’ के लिए दो बार बेस्ट कॉमेडियन का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था।
किसी भी दुख को खुद पर हावी नहीं होने दिया
सतीश कौशिक ने शशि कौशिक से साल 1985 में शादी की थी। जिसके बाद उन्हें पुत्ररत्न की प्राप्ती हुई । लेकिन उनका बेटा शानू जब 2 साल का था तभी उसका निधन हो गया। इस खबर ने सतीश और उनकी फैमिली को बहुत गहरी चोट दी थी। एक तरफ उनका फिल्मी करियर था और दूसरी तरफ घर का माहौल। लेकिन सतीश हमेशा जिंदादिल व्यक्ति थे। इस दुख से भी वे टूटे नहीं। इस दौर में उन्होंने अपने करियर की बेस्ट फिल्में दी। लेकिन उस हंसते हुए चेहरे की उदासी कभी नजर नहीं आई। ये सतीश कौशिक का कमाल था। अपने गम को दिल में दबाकर रखा और अपने काम पर कभी भी इसका नकारात्मक असर नहीं पड़ने दिया। हमें भी उनके जीवन से यह सीखना चाहिए कि कैसे गम को भूला कर खुश रहा जाता है।
अपने जीवन में फिर से जोड़ी खुशियां
एक और जहां लोग गम के बाद टूट जाते हैं वहीं सतीश कौशिक ने फिर से अपने जीवन में खुशियां जोड़ी। उन्होंने लोगों की परवाह न करते हुए सेरोगेसी की मदद से फिर से पिता बनने का अपना सपना पूरा किया। साल 2012 में वे दूसरी बार पिता बने थे। वे अपनी इन खुशियों के साथ बहुत खुश रहते थे। सतीश कौशिक का जीवन हमें भी सिखाता है कि हमें हर उम्र में खुश रहने का हक है। हमें अपनी खुशियों की कुर्बानी नहीं देनी चाहिए।
सतीश कौशिक जी की एक्टिंग और मजेदार डायलॉग आज भी लोगों की जुबान पर पर रहते हैं। उन्होंने अपने जीवन से हर पल खुश रहना सिखाया है। उन्होंने कभी भी संघर्ष के आगे घुटने नहीं टेके। वे लगातार विपरीत परिस्थितियों से लड़ते रहे और आज भी हंसते-हंसाते दुनिया से चले गए। श्री सतीश कौशिक जी हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगे।