यह है देश का पहला गार्बेज कैफ़े, यहां कचरे के बदले मिलता है भरपेट खाना
देश में हमेशा स्वच्छ भारत की बात होती है। अपने आस-पास सफाई रखो, पर्यावरण को नुकसान मत पहुंचाओं एवं प्लास्टिक का प्रयोग मत करो। यह बात आपको हर ओर सुनाई व दिखाई देगी। प्रकृति को स्वच्छ रखने के लिए इन सब बातों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। लेकिन बहुत कम लोग होते हैं जो स्वच्छता की ओर इतने जागरुक होते हैं। आपने स्वच्छता के लिए कई तरह के प्रलोभनों को तो सुना होगा लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि कोई कहेगा प्लास्टिक कचरा लाओ और भरपेट भोजन खाओ। यह सुनने और पढ़ने में अजीब जरूर लग सकता है लेकिन यह सच है। छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर शहर में एक ऐसा कैफ़े खुला है जो आपको कूड़े के बदले में भरपेट खाना उपलब्ध कराएगा। यह देश का पहला गार्बेज कैफ़े है। यह प्लास्टिक कचरे के बदले में लोगों को नाश्ता और खाना मुहैया कराने का कार्य करता है।
सफाई के मामले में इंदौर के बाद दूसरे नंबर पर अंबिकापुर का नाम आता है। नगर निगम ने इस कार्य की रोचक ढंग से शुरुआत की। इसका मकसद सड़क साफ रखने वालों को पेटभर खाना देकर उन्हें अपना शहर साफ-सुथरा रखने के लिए प्रेरित करना है। यह कैफ़े अंबिकापुर की सड़कों से 1 किलो प्लास्टिक कचरा इकट्ठा करने के बदले 500 ग्राम तक का खाना फ्री में देता है। इस तरह के कैफ़े ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, अमेरिका और कंबोडिया जैसे देशों में पहले से ही हैं लेकिन भारत में यह पहला कैफ़े है। इस इकट्ठा किए गए प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल रोड बनाने में किया जाएगा।
शहरों में प्लास्टिक कचरे की वजह से जिस तरह से समस्याएं बढ़ रही हैं, उससे निजात पाने का यह एक कारगर तरीका है। प्लास्टिक कचरे के बदले खाना दिए जाने से लोगों में आकर्षण बढ़ेगा और वो पर्यावरण को स्वच्छ रखने में अपनी भूमिका निभाएगें। इस गार्बेज कैफ़े की जब शुरूआत हुई तो पहले ही दिन पांच लोग प्लास्टिक कचरा लेकर कैफ़े पहुंच गए। इन सभी ने गार्बेज कैफ़े में एक साथ खाना खाया। कैफै में 1 किलो प्लास्टिक लाने पर खाना दिया जाता है। जिसमें आधा किलो प्लास्टिक लाने पर नाश्ता कराया जाता है। इस नाश्ते में ब्रेड चाप, इडली, समोसा, आलू चाप इत्यादि मिलेगी। एक किलो प्लास्टिक के बदले में दो सब्जी, 4 रोटी, हाफ प्लेट चावल, दाल, सलाद, अचार, पापड़, मीठी दही आदि दिया जाता है।
इसी योजना के जैसी योजना पहले पहले मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा शुरू की गई थी। इसमें ‘कचरा लाओ मुफ्त में भोजन पाओ’ योजना थी। इसमें एक थेली कचरा देने के बदले एक फूड कूपन दिया जाता है, जिसके जरिए निगम द्वारा चलाई जा रही रसोई में लोग मुफ्त में भोजन कर सकते हैं। पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रधानमंत्री ने भी स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत की थी। इसी मुहिम के तहत इस कैफ़े को शुरू किया गया है। गार्बेज क्लिनिक में प्लास्टिक जमा करके जागरूकता की मिसाल पेश की गई है।
एक सर्वे के अनुसार देशभर में हर दिन 25,000 से ज्यादा का प्लास्टिक कचरा पैदा होता है। इसमें से सिर्फ 14000 टन कचरा इकट्ठा हो पाता है। गार्बेज कैफ़े जैसे अनूठे प्रयासों से देश में सफाई अभियान में तेजी लाई जा सकती है। साथ ही इससे शहर को साफ सुथरा बनाए रखने के लिए भी लोगों को उत्साहित किया जा सकता है। इस तरह के कैफ़े वाकई में देश को स्वच्छ बनाने में अहम भूमिका निभाएगें।