पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री जी के यह 10 प्रेरक विचार, विपरीत परिस्थिति से लड़ने में करेंगे मदद
भारत हमेशा से ही वीरों की भूमि रही है। हमारे देश में कई ऐसे महानुभावों ने जन्म लिया है जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन ही देश के नाम कर दिया। इन्हीं महान शख्सियतों में से एक थे भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी जिनके द्वारा दिया गया ‘जय जवान जय किसान’ का नारा आज भी हर किसी के ज़ेहन में जोश पैदा कर देता था।
साधारण परन्तु चट्टान की तरह मजबूत देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को मुगलसराय में हुआ था। उन्होंने अपना पूरा जीवन ही देश के लिए न्यौछावर कर दिया था। उनका बचपन बहुत संघर्ष में बीता। उन्हें बचपन में नदी तैर कर स्कूल पढ़ने जाना पड़ता था, अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्हें कई मील नंगे पैर पैदल चलना पड़ता था। लेकिन कहते हैं न विपरीत परिस्थितियां ही इंसान को मजबूत बनाती हैं। उन्होंने कभी विपरीत परिस्थितियों के आगे घुटने नहीं टेके।
देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की मृत्यू के बाद 09 जून 1964 को लाल बहादुर शास्त्री देश के पीएम बने थे। 11 जनवरी 1966 तक वह इस पद पर रहे। उन्होंने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान देश का नेतृत्व किया था। 1962 में चीन के साथ भारत का युद्ध हुआ था, जिसमें भारत को हार का सामना करना पड़ा था। उस वक़्त पाकिस्तान ने इस हार को अपनी आने वाली जीत का संदेश समझा। पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया। हालांकि, लाल बहादुर शास्त्री के नेतृत्व में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को इस युद्ध में धूल चटा दी थी। युद्ध के दौरान उनका "जय जवान जय किसान" का नारा बहुत लोकप्रिय हुआ। उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब ख़ान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी, 1966 की रात को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई।
उनकी सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी के लिये मरणोपरांत उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। शास्त्री जी के बारे में और अधिक जानकारी के लिए आप मोटिवेशनल कोच डॉ विवेक बिंद्रा की ये वीडियो भी देख सकते हैं-
शास्त्री जी के बारे में कहा जाता है कि उनका कद भले ही छोटा था लेकिन उनका जीवन सच्चे आदर्शों से भरा हुआ था। उनके जीवन के प्रेरक विचार आज भी आपको विपरीत परिस्थितियों से लड़ने की ताकत दे सकते हैं।
आइए जानते हैं उनके जीवन के कुछ प्रेरक विचार।
- हमें शांति के लिए उतनी ही बहादुरी से लड़ना चाहिए, जितना हम युद्ध में लड़ते हैं।
- मैं किसी दूसरे को सलाह दूं और उसे मैं खुद पर अमल ना करूं तो मैं असहज महसूस करता हूं।
- देश की ताकत और मजबूती के लिए सबसे ज़रूरी काम है लोगों में एकता स्थापित करना।
- हम खुद के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व की शांति, विकास और कल्याण में विश्वास रखते हैं।
- यदि कोई भी व्यक्ति हमारे देश में अछूत कहा जाता है तो भारत को अपना सर शर्म से झुकाना पड़ेगा।
- आजादी की रक्षा सिर्फ हमारे देश के सैनिकों का काम नहीं है इसकी रक्षा के लिए पूरे देश को मजबूत होना पड़ेगा।
- लोगों को सच्चा स्वराज या लोकतंत्र कभी भी असत्य और अहिंसा के बल से प्राप्त नहीं हो सकता है।
- आर्थिक मुद्दे हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं और यह सबसे महत्वपूर्ण है कि हमें यदि कोई भी व्यक्ति हमारे देश में अछूत कहा जाता है तो भारत को अपना सर शर्म से झुकाना पड़ेगा। हमें अपने सबसे बड़े दुश्मनों-गरीबी, बेरोजगारी से लड़ना चाहिए”।
- हर कार्य की अपनी एक गरिमा है और हर कार्य को अपनी पूरी क्षमता से करने में ही संतोष प्राप्त होता है।
- यदि मैं एक तानाशाह होता तो धर्म और राष्ट्र अलग-अलग होते। मैं धर्म के लिए जान तक दे दूंगा, लेकिन यह मेरा निजी मामला है, राज्य का इससे कुछ लेना देना नहीं है। राष्ट्र धर्म-निरपेक्ष, कल्याण, स्वास्थ्य, संसार, विदेशी संबंधों, मुद्रा इत्यादि का ध्यान रखेगा। लेकिन मेरे या आपके धर्म का नहीं, वो सबका निजी मामला है।
- हम अपने देश के लिए आज़ादी चाहते हैं, पर दूसरों का शोषण कर के नहीं, ना ही दूसरे देशों को नीचा दिखा कर। मैं अपने देश की आजादी ऐसे चाहता हूँ कि अन्य देश मेरे आजाद देश से कुछ सीख सकें, और मेरे देश के संसाधन मानवता के लाभ के लिए प्रयोग हो सकें।
- हम सभी को अपने-अपने क्षत्रों में उसी समर्पण, उसी उत्साह और उसी संकल्प के साथ काम करना होगा जो रणभूमि में साथ काम करना होगा जो रणभूमि में एक योद्धा को प्रेरित और उत्साहित करती है। और यह सिर्फ बोलना नहीं है, बल्कि वास्तविकता में कर के दिखाना है।
- विज्ञान और वैज्ञानिक कार्यों में सफलता असीमित या बड़े संसाधनों का प्रावधान करने से नहीं मिलती, बल्कि यह समस्याओं और उद्दश्यों को बुद्धिमानी और सतर्कता से चुनने से मिलती है।और सबसे बढ़कर जो चीज चाहिए वो है निरंतर कठोर परिश्रम समर्पण की।
- हमारी ताकत और स्थिरता के लिए हमारे सामने जो ज़रूरी काम हैं उनमें लोगों में एकता और एकजुटता स्थापित करने से बढ़ कर कोई काम नहीं है।
- क़ानून का सम्मान किया जाना चाहिए ताकि हमारे लोकतंत्र की बुनियादी संरचना बरकरार रहे और मजबूत बने।
लाल बहादुर शास्त्री जी के यह विचार आपको भी एक बेहतर व्यक्ति बनने में मदद कर सकते हैं। यह विचार आपको विपरीत परिस्थिति से लड़ने में सहायता कर सकते हैं।
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