कम लागत पर अपने बिजनेस की मार्केटिंग करने के तरीके

Top Tips To market your business at low cost.

किसी भी बिज़नेस की ग्रोथ में मार्केटिंग स्ट्रेटेजी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। एक सही मार्केटिंग स्ट्रेटेजी से बिज़नेस अपने टार्गेटेड ऑडियंस तक अपनी पहुँच बढ़ा सकता है। जितने भी बड़े बिज़नेस हैं, वे अपने बिज़नेस की मार्केटिंग स्ट्रेटेजी पर करोड़ों रुपये खर्च करते हैं। लेकिन मध्यम और स्मॉल बिज़नेस के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर पाना संभव नहीं होता।

लेकिन क्या कोई ऐसा तरीका है, जिसके द्वारा मध्यम और स्मॉल बिज़नेस भी अपने कस्टमर्स तक आसानी से और कम लागत में अपनी पहुँच बना सकते हैं।

आज के इस लेख में जानिये कम लागत में अपने बिज़नेस की मार्केटिंग करने के कुछ आसान और प्रभावशाली तरीके –

वायरल मार्केटिंग :

आप सोशल मीडिया पर कई वीडियोज़ देखते होंगे, जो बहुत ही वायरल हो गए हैं। इन वीडियोज़ का कंटेंट हमें बहुत समय तक याद भी रहता है। वायरल मार्केटिंग एक ऐसी टेक्निक है, जिसके द्वारा कम्पनियां अपने ब्रांड मैसेज को लोगों में तेजी से वायरल करने के लिए काम करती हैं। इस तरीके में दूसरे तरीकों के मुकाबले ब्रांड का मैसेज तेजी से लोगों के बीच में प्रसिद्धि पाता है।

स्ट्रीट मार्केटिंग :

आपने कई बार सड़कों पर या किसी पब्लिक प्लेस पर होर्डिंग्स वगैरह देखे होंगे। जब हम यह देखते हैं, तब हमारी नजर उन पर टिक जाती है। कई बार कम्पनियां अपनी मार्केटिंग करने के लिए ऐसे अनोखे तरीके अपनाती हैं, जैसे अपने ब्रांड की डिज़ाइन को सड़कों पर, किसी पार्क की बेंच पर आदि अनोखे तरीके से ब्रांडिंग करती हैं। इस तरह की ब्रांडिंग इतनी अनोखी होती है कि इसे चाह कर भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

कॉज़ मार्केटिंग :

टाटा ग्रुप भारत में कई सारे सामाजिक काम करता है, यही कारण है कि आज टाटा ग्रुप और सर रतन टाटा का भारत में बहुत सम्मान होता है। इस प्रकार की मार्केटिंग में कम्पनियां किसी ना किस एनजीओ के साथ कोलैबोरेशन करती हैं या अपने फिर लाभ का कुछ हिस्सा किसी सोशल कॉज़ के लिए इस्तेमाल करती हैं। जब कम्पनियां इस तरह से काम करती हैं, तो लोग ऐसी कम्पनियों के प्रोडक्ट या सर्विसेस खरीदना पसंद करती हैं।

नैनो इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग :

आजकल इन्फ्लुएंसर्स मार्केटिंग बहुत ज्यादा पॉपुलर हो रही है। इसमें कम्पनियां ऐसे लोगों से कॉन्टैक्ट करती हैं, जो किसी ना किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक्टिव होते हैं और उनके कई सारे फ़ॉलोअर्स होते हैं। जब कुछ स्मॉल कम्पनियां या स्टार्टअप किसी ऐसे इन्फ्लुएंसर से कॉन्टैक्ट करते हैं, जिनके फ़ॉलोअर्स की संख्या हजार से 5 हजार के बीच हों, तो उसे नैनो इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग कहते हैं। उस मार्केटिंग में कम्पनियों के लिए नैनो इन्फ्लुएंसर को एप्रोच करना आसान होता है।

चैलेंज मार्केटिंग :

आपने फिट इंडिया मूवमेंट के बारे में तो सुना ही होगा, जिसमें भारत के ओलम्पियन और तत्कालीन राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने पुशअप्स करते हुए एक वीडियो अपलोड की थी और कुछ लोगों को भी फिटनेस से जुड़ा कोई काम करने का चैलेंज दिया था। देखते ही देखते यह मूवमेंट बहुत हिट हो गया था। आज कम्पनियां भी इस तरह के चैलेंज के कैंपेन चलाती हैं, यह अधिक से अधिक लोगों को एंगेज करने का कॉस्ट इफेक्टिव तरीका है।

ह्यूमर मार्केटिंग :

आपमें से कई लोगों ने फेविकोल के विज्ञापन ज़रूर देखे होंगे। फेविकोल ने हमेशा अपने विज्ञापन में ह्यूमर का इस्तेमाल किया है और यही कारण है कि आज भी हमें फेविकोल के विज्ञापन याद हैं। जब कोई कंपनी मार्केटिंग में ह्यूमर कई इस्तेमाल करती है, तो उसे ह्यूमर मार्केटिंग कहते हैं। ह्यूमर को ऐड करने से आपका ब्रांड तेजी से फैलता हैं और लोग इसे लम्बे समय तक याद रखते हैं।

मीम मार्केटिंग :

आज लगभग सभी इंसान सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं। आज सोशल मीडिया पर मीम लोगों से कम्यूनिकेट करने का एक पॉपुलर तरीका बन चुका है, क्योंकि लोग ज्यादा से ज्यादा मीम को शेयर करते हैं। यही कारण है कि आज कम्पनियां अपनी मार्केटिंग के लिए मीम का ज्यादा इस्तेमाल कर रही है। मीम के ज़रिये कम्पनियां कस्टमर से कनेक्ट कर पाती हैं और कस्टमर भी ज्यादा एंगेज कर पाते हैं।

मार्केटिंग के ये सभी तरीके बहुत ही Low-Cost हैं, यही कारण है कि छोटी कम्पनियां और स्टार्टअप्स जिनके पास लिमिटेड बजट होता है, वो इन तरीकों को अपनाकर आसानी से अपने टार्गेटेड कस्टमर्स तक अपनी पहुँच बना सकती है।


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