Entrepreneurship Course: एंटरप्रेन्योर और इंट्राप्रेन्योर? जानिए कौन और क्यों है ज्यादा बेहतर
भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है. आशाएं, आकांक्षाएं और उम्मीदें बढ़ रही हैं. विशेष रूप से युवा वर्ग संभावित उद्यमियों (Entrepreneurs) का एक बड़ा समूह है, जो अपना खुद का उद्यम स्थापित करना चाहते हैं और जीवन में प्रगति करना चाहते हैं. ऐसे उद्यमी पूरे देश में मौजूद हैं. उनके पास उद्यम को लेकर कई तरह के विचार हैं, जिनके आधार पर वे अपनी और अपने परिवार की जिंदगी को बेहतर बनाना चाहते हैं. Franchise Business in India: बड़ा बिजनेस की फ्रेंचाइजी से होंगे कई फायदे, हर महीने होगी 20 लाख की कमाई
एंटरप्रेन्योर और इंट्राप्रेन्योर में कौन बेस्ट?
बड़ा बिजनेस कंपनी के संस्थापक और सीईओ डॉ विवेक बिंद्रा (Dr Vivek Bindra) ने बताया कि एंटरप्रेन्योर (Entrepreneur) और इंट्राप्रेन्योर (Intrapreneur) में बहुत फर्क होता है. एक इंट्राप्रेन्योर कंपनी को नए शिखर तक पहुंचा सकता है. यदि आप अपने कर्मचारियों को इंट्राप्रेन्योर में बदल सकते हैं, तो यह आपके व्यवसाय में वृद्धि लाएगा और यह कर्मचारियों को भी सफलता के नए मुकाम तक पहुंचा देगा. इससे कर्मचारियों की क्षमता और कुशलता बढती है.
अंतरराष्ट्रीय मोटिवेशनल स्पीकर डॉ विवेक बिंद्रा ने उद्यमियों की मदद के लिए एक वीडियो भी बनाया हुआ है. इस वीडियो में डॉ विवेक बिंद्रा एंटरप्रेन्योर बनाम इंट्राप्रेन्योर के बीच का अंतर बता रहे हैं. बिजनेस कोच ने कहा कि इंट्राप्रेन्योर का काम करने का तरीका अन्य से अलग होता है, जो सदा कंपनी के लिए फायदेमंद रहता है. इंट्राप्रेन्योर हमेशा नई पहल और आईडिया के लिए तैयार रहता है.
यहां देखें डॉ विवेक बिंद्रा का वीडियो-
इंट्राप्रेन्योर की काम करने की स्पीड हमेशा तेज होती है, वह बड़े से बड़े काम को जल्दी से निपटा सकता है. इसके साथ ही इंट्राप्रेन्योर कभी भी समस्याओं को सामने देखकर रुकता नहीं, बल्कि समस्या को ही रास्ते से हटाने के लिए एक्शन में आ जाता है. जिससे वह कंपनी के लिए किसी कंट्रीब्यूटर और प्रोडूसर की तरह काम करता है. इंट्राप्रेन्योर की एक और खासियत यह होती है कि वह प्रोएक्टिव और सेल्फ-स्टार्ट होता है, जिस वजह से कंपनी की ग्रोथ सतत होती रहती है.