नई दिल्ली: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) का विकास विभिन्न घटकों जैसे बाजार तक पहुँच, उत्पादों की गुणवत्ता, समय पर क्रेडिट की उपलब्धता, प्रौद्योगिकी का उन्नयन आदि पर निर्भर करता है. भारतीय एमएसएमई क्षेत्र के क्षमता निर्माण के लिए सरकार ने कई सराहनीय उपाय शुरू किए हैं. इसके तहत राष्ट्रीय विनिर्माण प्रतिस्पर्धा कार्यक्रम, लीन विनिर्माण पद्धतियों को अपनाना, उद्यमों को डिजाइन विशेषज्ञता इत्यादि प्रदान करना है.
एमएसएमई के क्रेडिट प्रवाह को आसान बनाने के लिए, सरकार सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी न्यास निधि (सीजीटीएमएसई), क्रेडिट सम्बद्ध पूंजीगत सब्सिडी स्कीम और ब्याज आर्थिक सहायता स्कीम इत्यादि जैसी स्कीमें शुरू की है. इसके अतिरिक्त एमएसई को विपणन सहायता सहायता प्रदान करने के लिए लोक प्रापण नीति केन्द्रीय मंत्रालयों व विभागों एवं सीपीएसई द्वारा अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के स्वामित्व की एमएसई से 4% और महिलाओं के स्वामित्व की एमएसई से 3% सहित एमएसई से वार्षिक प्रापण (प्रोक्यूरमेंट) के 25% को अनिवार्य करती है.
आत्मनिर्भर भारत अभियान के अन्तर्गत, भारत सरकार ने एमएसएमई सहित समाज के सभी वर्गों के लिए 20 लाख करोड़ के विशेष आर्थिक और व्यापक पैकेज की घोषणा की है. प्रोत्साहन पैकेज के भाग के रूप में, एमएसएमई क्षेत्र को न केवल वास्तविक आबंटन किया गया है बल्कि अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए उपायों के कार्यान्वयन को प्राथमिकता भी दी गई है.
प्रोत्साहन पैकेज के अन्तर्गत की गई घोषणाओं में संकटग्रस्त एमएसएमई के लिए 20,000 रुपये का अनुषंगी ऋण (Subsidiary Loan), निधियों के कोष के माध्यम से एमएसएमई के लिए 50000 रुपये इक्किटी इन्फ्यूजन, एमएसएमई के लिए 3 लाख करोड़ रुपये का आपातकालीन क्रेडिट लाइन ऋण, 200 करोड़ रुपये तक सरकारी प्रापण (Procurement) के लिए कोई वैश्विक निविदा नहीं, एमएसएमई परिभाषा का उतरोत्तर संशोधन शामिल है.
नवीनतम व्यवसाय कौशल तक पहुँच की कमी वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा करने के लिए एमएसएमई की क्षमताओं को प्रभावित करती है. एमएसएमई की प्रतिस्पर्धत्मकता और व्यवहार्यता बढ़ाने के लिए एमएसएमई मंत्रालय विपणन सहायता, क्रेडिट सहायता, कौशल विकास, प्रौद्योगीकीय और गुणवत्ता उन्नयन प्रदान करके कई लक्षित स्कीमों को कार्यान्वित करता है. इसके अतिरिक्त, एमएसएमई क्षेत्र के लिए कुशल जनशक्ति, उन्नत प्रौद्योगिकी तक पहुंच और व्यवसाय सलाहकार सेवाएं प्रदान करने के लिए, एमएसएमई मंत्रालय देशभर में एमएसएमई इकाइयों के लिए प्रौद्योगिकी केन्द्र चलाकर आवश्यकताएँ पूरी कर रहा है.