आईएफएससी में अंतर्राष्ट्रीय खुदरा व्यापार विकास पर इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज सेंटर्स अथॉरिटी (आईएफएससीए) विशेषज्ञ समिति ने अपनी दूसरी अंतरिम रिपोर्ट आईएफएससीए के अध्यक्ष को सौंप दी है. इस अंतरिम रिपोर्ट में आईएफएससी में अंतरराष्ट्रीय खुदरा कारोबार के तेज एवं कुशल विकास के उद्देश्य से कई सुझाव दिए गए हैं. साथ ही यह रिपोर्ट आईएफएससी में अंतर्राष्ट्रीय बीमा गतिविधियों के विकास के लिए सिफारिशों पर ध्यान केंद्रित करती है. यह रिपोर्ट 11 सितंबर 2020 को सौंपी गई पहली अंतरिम रिपोर्ट के अनुरूप है जिसमें बैंकिंग से संबंधित प्रस्तावों को शामिल किया गया था. अन्य प्रमुख कारोबारी श्रेणियों यानी परिसंपत्ति प्रबंधन और पूंजी बाजार को उन रिपोर्टों में शामिल किए जाएंगे जिसे समिति उचित समय पर प्रस्तुत करेगी.

आईएफएससीए द्वारा विशेषज्ञ समिति का गठन इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज सेंटर (आईएफएससी) में अंतर्राष्ट्रीय खुदरा व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सिफारिशों के अलावा आईएफएससी को अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवाओं के लिए आकर्षक बनाने के लिए संभावित रणनीतियां तैयार करने, आईएफएससी में अंतर्राष्ट्रीय खुदरा व्यापार के भविष्य के विकास के लिए एक रूपरेखा तैयार करने और आईएफएससी के विकास के लिए महत्वपूर्ण अन्य मुद्दों की भी जांच एवं अनुशंसा करने के लिए किया गया है.

इस अंतरिम रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशें गिफ्ट आईएफएससी को जीवन, स्वास्थ्य एवं गैर-जीवन बीमा कंपनियों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाने से संबंधित हैं. रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशें इस प्रकार हैं: -

  • प्रवासी भारतीयों (एनआरआई)/ भारतीय मूल के व्यक्तियों (पीआईओ) को अपने लिए और भारत एवं विदेश में रहने वाले अपने परिवार के सदस्‍यों के लिए आईएफएससी में स्थापित कंपनियों से जीवन बीमा पॉलिसी खरीदने की अनुमति दी जाए और उन्हें उनकी पसंद की मुद्रा (भारतीय रुपए सहित) में प्रीमियम का भुगतान करने की सुविधा दी जाए.
  • एनआरआई/ पीआईओ को पोर्टेबल जीवन बीमा पॉलिसी खरीदने के लिए अनुमति दी जाए जो उन्हें भारत लौटने के बाद उनकी पसंद के आधार पर आईएनआर अथवा विदेशी मुद्रा में प्रीमियम के भुगतान की सुविधा देती है.
  • देश के निवासियों को खुद के लिए और उनके आश्रितों (भारत एवं विदेशों में) के लिए आईएफएससी में स्‍थापित बीमा कंपनियों अथवा मध्यस्थों से दुनिया में कहीं भी चिकित्सा के लिए विदेशी स्वास्थ्य बीमा खरीदने की अनुमति दी जाए.
  • बीमा कंपनियों को एनआरआई/ पीआईओ को ऐसी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों की पेशकश करने की अनुमति दी जाए जिसमें भारत में रहने वाले उनके परिवार के सदस्यों को भी कवर किया गया हो.
  • आईएफएससी में मौजूद बीमा कंपनियों को एनआरआई/ पीआईओ एवं किसी भी अन्‍य अनिवासी व्यक्ति के लिए व्यक्तिगत दुर्घटना कवर, सामान के नुकसान, दस्तावेजों के नुकसान कवर और यात्रा स्वास्थ्य बीमा की पेशकश करने के लिए अनुमति दी जाए.
  • आईएफएससी को एशिया एवं अफ्रीका के लिए पुनर्बीमा हब के रूप में उभरना चाहिए और आईएफएससी में अधिक से अधिक पुनर्बीमाकर्ताओं को केंद्र स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. आईएफएससी दुनिया के लिए विमानन बीमा हब के रूप में भी उभर सकता है.
  • बीमाकर्ताओं को अपने कारोबार को बढ़ावा देने के लिए आईएफएससी में सहायक इकाइयां स्थापित करने की अनुमति दी जानी चाहिए.
  • भारतीय निवेशकों को विदेश में बीमा को बढ़ावा देने के लिए कम पूंजी आवश्यकताओं वाली प्रत्यक्ष और पुनर्बीमा कंपनियों को स्थापित करने की अनुमति दी जानी चाहिए.
  • एक जीवंत बीमा बाजार तैयार करने के लिए विदेशी पुनर्बीमा बिचौलियों को आईएफएससी में केंद्र खोलने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.

विशेषज्ञ समिति के चेयरमैन प्रदीप शाह ने कहा, 'समिति का मानना है कि आईएफएससी भारत के लिए आर्थिक विकास का एक इंजन बन सकता है. बीमा क्षेत्र के लिए वैश्विक अवसर काफी अधिक है. भारतीय बीमा क्षेत्र का प्रदर्शन अन्‍य विकसित एवं उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले कमजोर है. बीमा की पैठ और घनत्व जो बीमा उद्योग के प्रदर्शन के प्रमुख संकेतक हैं, भारत में विशेष रूप से कम हैं. गिफ्ट आईएफएससी बीमा कंपनियों को वहां अपना कारोबार स्‍थापित करने के लिए कम लागत एवं कम कराधान वाले क्षेत्राधिकार प्रदान करने का वादा करता है.