एनबीएफसी और एचएफसी के लिए सरकार ने रिण गारंटी योजना के नियमों में दी ढील
नई दिल्ली: गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) का कोरोना काल में बुरा हाल है. इसी को देखते हुए केंद्र सरकार ने एनबीएफसी और एचएफसी को लेकर अहम फैसला लिया है. दोनों संस्थानों को संकट से उबारने के लिए सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा उनके वाणिज्यिक पत्रों और बांड को खरीदने के लिए आंशिक रिण गारंटी योजना (पीसीजीएस) के नियमों में ढील दी है. जिससे एनबीएफसी और एचएफसी को अतिरिक्त नकदी उपलब्ध कराई जा सके.
मिली जानकारी के मुताबिक पीसीजीएस (Loan Guarantee Scheme) की अवधि को तीन महीने के लिए बढ़ाने का फैसला लिया है. जहां तक इन वित्त संस्थानों के एए और एए- रेटिंग वाले बांड और वाणिज्यिक पत्रों को लेने की बात है, इनके लिये तय सीमा को करीब करीब हासिल कर लिया गया है जबकि कम रेटिंग वाले वाणिज्यिक पत्र में खरीदार नहीं मिल रहे हैं. यही वजह है कि सरकार ने अब पीसीजीएस 2.0 मे सुधार करने का निर्णय लिया है.
वित्त मंत्रालय के बयान के अनुसार पोर्टफोलियो को बेहतर बनाने के लिये तीन महीने का अतिरिक्त समय दिया गया है. छह माह की समाप्ति यानी 19 नवंबर 2020 को वितरित की गई वास्तविक राशि के आधार पर पोर्टफोलियो को वास्तविक रूप दिया जायेगा, उसके बाद ही गारंटी प्रभाव में आएगी.
इसमें कहा गया है कि पोर्टफोलियो के स्तर पर योजना के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा योजना के तहत खरीदे गये एए और एए- निवेश वाले पोर्टफोलियो बांड और वाणिज्यिक पत्र कुल पोर्टफोलियो का 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होने चाहिये. इससे पहले यह सीमा 25 प्रतिशत तय की गई थी. इस सुधार से बैंकों को पीसीजीएस 2.0 के तहत बांड और रिण पत्रों को खरीदने में कुछ सहूलियत मिलने की संभावना जताई जा रही है.
केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत पैकेज के ऐलान के वक्त पीसीजीएस 2.0 योजना की घोषणा की थी. इसमें एनबीएफसी और एचएफसी, सूक्ष्म वित्त संस्थानों द्वारा जारी एए और इससे कम रेटिंग वाले बांड एवं रिण पत्रों को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा खरीदने पर गारंटी का प्रावधान किया गया है. पीसीजीएस 2.0 के तहत 45 हजार करोड़ रुपये के बांड और वाणिज्यिक पत्रों को खरीदने का प्रावधान किया गया था.