श्रीमद् भगवद्गीता की मदद से पाएं जीवन में सफलता

श्रीमद् भगवद्गीता में छुपा है सफलता के यह पांच राज़

आज हर कोई अपने जीवन में सफल होना चाहता है, लेकिन सफल होने का सही मार्ग का पता ना होने के कारण आज अधिकतर लोग हताश और परेशान है। किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए मोटिवेशन और सही गाइडेंस की बहुत जरूरत होती है। बिना सही दिशा-निर्देश के कोई भी व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता। चाहे कोई खिलाड़ी हो,या कोई राजनेता हर किसी को समय-समय पर मोटिवेशन और गाइडेंस की जरूरत पड़ती ही है। लेकिन वो सही गाइडेंस सोर्स क्या है इसके बारे में अधिकांश लोग अंजान रहते हैं। ऐसे लोग किसी सीनियर या मेंटर की सहायता लेते हैं। लेकिन इन सब के अलावा एक और तरीका है जिसकी मदद से आप खुद ही मोटिवेशन पा सकते हैं।उस सोर्स का नाम है भगवद् गीता। आपने घर के बड़े-बुजुर्गों से सुना होगा कि भगवद् गीता में जीवन का सार छुपा हुआ है। भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के दौरान कुछ उपदेश दिए थे, जिससे अर्जुन के लिए युद्ध जीतना आसान हो गया था।  भगवद गीता में जीवन का सही अर्थ लिखा हुआ है। वैसे तो भगवद गीता के 18 अध्यायों में कई श्लोक हैं। सभी का अपना-अपना महत्व हैं। लेकिन आज के इस लेख में हम आपको भगवद गीता के 5 श्लोकों का हिंदी सार बताएंगे जिनकी मदद से आप अपने जीवन में बड़ी सफलता को प्राप्त कर सकते हैं और अपने लक्ष्य को पाने के लिए प्रेरित हो सकते हैं

1.  जो होता है केवल अच्छे के लिए ही होता है

भगवद गीता में कहा गया है “जो होता है वो अच्छे के लिए होता है, जो भी हुआ, अच्छे के लिए हुआ, जो भी हो रहा है, अच्छे के लिए ही हो रहा है। जो भी होगा, अच्छे के लिए ही होगा।”  इस श्लोक में श्री कृष्ण कहते हैं कि जीवन में व्यक्ति को कभी निराश होकर यह नहीं कहना चाहिए कि ऐसा मेरे साथ ही क्यों हुआ। अक्सर व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में ईश्वर को और किस्मत को दोष देने लग जाता है कि ऐसा मेरे साथ ही क्यों हुआ। जिस तरह हर रात के बाद एक सवेरा होता है, उसी तरह कठिन समय के बाद अच्छा समय भी जरूर आता है। हर काम को करने के पीछे कोई न कोई अच्छा कारण जरूर होता है। जो हमें पहले समझ नहीं आता लेकिन समय के साथ पता चलता है कि जो हुआ वो अच्छा ही हुआ। इसलिए भगवद् गीता की इस बात का आपको जरूर अनुसरण करना चाहिए कि जो होता है वो अच्छे के लिए ही होता है।

2. यह शरीर हमारी आत्मा का केवल एक वस्त्र है

भगवान श्री कृष्णा कहते है “जैसे कि एक आदमी अपने पहने हुए कपड़ों को उतारता है और दूसरे नए कपड़े पहनता है, वैसे ही आत्मा अपने घिसे-पिटे शरीर से बाहर निकलती है और दूसरे नए शरीर में प्रवेश करती है इसे दूसरा जन्म भी कहते हैं। इसलिए ईश्वर कहते है किसी भी चीज़ का मोह ना करते हुये केवल अच्छे कर्म करो क्योंकि यहाँ सब नश्वर है। किसी की मृत्यु होने पर या अपने शरीर का त्याग करने पर ज्यादा दुखी नहीं होना चाहिए क्योंकि आत्मा फिर किसी और शरीर को अपना वस्त्र बनाकर उसे धारण कर लेगी। इसलिए आपको आगे बढ़ने के लिए इन सब बातों से ऊपर उठकर आगे बढ़ना चाहिए।

3. परिवर्तन तो होना ही है

संसार में जो आया है वो नष्ट जरूर होगा। दिन-रात सभी बदलते रहते हैं, महीने-ऋतुएँ बदल जाती है। इसी तरह दुःख- सुख सभी संसार का नियम है। परिवर्तन तो होकर ही रहेगा। इसलिए व्यक्ति को परिवर्तन से घबराना नहीं चाहिए। बल्कि इसका स्वागत करना चाहिए। हर परिवर्तन व्यक्ति को नई सीख देकर जाता है। इस ब्रह्मांड में सब कुछ स्वयं बदलता है जो परिवर्तन के सार्वभौमिक कानून के अधीन है। इसी तरह हमारे जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है, गीता आपको परिवर्तन को स्वीकार करने के लिए कहती है। कई बार लोग रिश्तों के बदलने से,लाभ-हानि होने से टूट जाते हैं लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि कोई भी परिवर्तन स्थायी नहीं होता। हर चीज़ बदलती रहती है, पतझड़ में जब सूखे पत्ते झड़ते हैं तभी बसंत में नई फुहारें आती हैं। इसलिए परिवर्तन को स्वीकार करें और आगे बढ़ें। अपने जीवन में सफलता पाने के लिए भगवत गीता का महत्व समझने के लिए आप मोटिवेशनल कोच (Motivational Coach) डॉ विवेक बिंद्रा जी की ये वीडियो देख सकते है-



4. बुरा वक़्त हमे सर्वश्रेष्ठ बनाता है

जीवन में अच्छा और बुरा दोनों ही समय चलते रहते हैं। आज अंधकार है तो कल उजाला होगा। जिस तरह सोना आग में तपकर ही कुंदन बनता है। उसी तरह व्यक्ति भी बुरे वक्त से लड़कर खुद को सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुत करता है। विपरीत परिस्थितियां व्यक्ति को और भी मजबूत बनाती हैं और चीज़ों को बेहतर ढंग से देखना सीखाता है। बुरा समय हमें पैसों की कद्र करना सीखता है। इसलिए अपने बुरे समय से कभी भी घबराकर हार नहीं माननी चाहिए बल्कि उससे लड़ना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए क्योंकि यह वह समय होगा जो आपको आपके जीवन का सबसे मूल्यवान सबक सिखाएगा इसलिए जीवन में हर समय खुशहाल ही रहने की उम्मीद न करें क्योंकि यह स्थिर नहीं  है। दुख-सुख दोनों ही हमारे जीवन का हिस्सा है।

5. कर्म सबसे ऊपर आता है

आपका कर्म ही आपको सर्वश्रेष्ठ बनाता है। व्यक्ति जैसा कर्म करता है उसे वैसा ही फल मिलता है। व्यक्ति कर्म करने के लिए ही पैदा हुआ है और बिना कर्म किये कोई नहीं रह सकता। फल की चिंता करना व्यर्थ है क्योंकि इससे मनुष्य का मन काम से भटकने लगता है। अगर किसी काम को करने से सफलता नहीं मिली तो हताश नहीं होना चाहिए क्योंकि असफलता भी ज्ञान के द्वार खोलती है।अगर आप बिना फल की चिंता किये काम करते रहोगे तो सफलता और मन की शांति जीवन भर तुम्हारा साथ नहीं छोड़ेगी। जो व्यक्ति केवल कर्म करते हैं उन्हें सफलता प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता। आप जो करेंगे आपको वैसा ही मिलेगा इसलिए हमेशा अपने कर्मों को अच्छा रखें ताकि आपको सफलता प्राप्त हो सके।

भगवद् गीता की यह सीख व्यक्ति को आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने में बहुत मदद कर सकती हैं। भगवद् गीता जीवन का यथार्थ है, इसमें जीवन के हर पहलू के बारे में बताया गया है। यदि आप जीवन में प्रेरित रहना चाहते हैं और आगे बढ़ना चाहते हैं तो आपको भगवद् गीता का अनुसरण जरूर करना चाहिए।

लेख के बारे में आप अपनी टिप्पणी को कमेंट सेक्शन में कमेंट करके दर्ज करा सकते हैं। इसके अलावा आप अगर एक व्यापारी हैं और अपने व्यापार में कठिन और मुश्किल परेशानियों का सामना कर रहे हैं और चाहते हैं कि स्टार्टअप बिज़नेस को आगे बढ़ाने में आपको एक पर्सनल बिज़नेस कोच का अच्छा मार्गदर्शन मिले तो आपको Business Coaching Program का चुनाव जरूर करना चाहिए जिससे आप अपने बिज़नेस में एक अच्छी हैंडहोल्डिंग पा सकते हैं और अपने बिज़नेस को चार गुना बढ़ा सकते हैं ।

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