बिज़नेस शुरू करना भले ही आसान लगे, लेकिन उसकी शुरुआत से लेकर उसे सफल मुकाम तक पहुंचाने में कई बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. यही कारण है कि कई बार बड़े से बड़ा बिज़नेस प्लान भी फेल हो जाता है. इसलिए जरूरी है कि बिज़नेस को शुरू करने से पहले हर चुनौती का विश्लेषण जरूर कर लेना चाहिए. आज हम इस आर्टिकल में बात करने वाले हैं उन कठिनाईयों कि जो किसी भी व्यापारी के हौसले को हरा देती हैं लेकिन अगर समय के साथ उन चुनौतियों को पहचान लिया जाए तो उनका निस्तारण भी किया जा सकता है. चलिए बात करते हैं उन समस्याओं की जिनका किसी भी व्यापारी को स्टॉर्ट-अप (How Start Up Business Fail in India) के दौरान सामना करना पड़ता है. साथ ही बात करेगें कि उन कठिनाईयों से किस तरह से पार पाकर अपने स्टॉर्ट-अप को सफल बनाया जाता है.
- सीमित संसाधन (Limited Resources): बिज़नेस की शुरुआत में सभी जरूरी संसाधनों की आवश्यकता होती है, लेकिन स्टॉर्ट-अप कई बार सीमित संसाधनों की वजह से भी असफलता हो जाते हैं. एक समय हुआ करता जब कारोबार शुरू करने के लिए असीमित संसाधनों की आवश्यकता होती थी, लेकिन आज तकनीक के इस्तेमाल से आप कम साधनों में भी अपने व्यापार को तरक्की दिला सकते हैं. बशर्ते आपको सही तकनीक का उपयोग करना आता हो. आज कुछ व्यवसाय ऐसे भी हैं, जिन्हें घर से भी शुरू कर पहचान दिलायी गई है, लेकिन शुरुआत में यह एक बड़ी चुनौतियों में से एक हो सकती है.
- फंड (Funding problem): व्यापार की पहली जरूरत फंड होती है. इसके बिना किसी भी व्यापार को शुरू करना असंभव होता है. हर व्यापारी की तरह आपको भी शुरुआत में इस बात का विश्लेषण करना होगा कि आपको अपने व्यापार के लिए कितने फंड की आवश्यकता है, क्योंकि यह बिज़नेस आइडिया पर निर्भर करता है कि किसी व्यापार में कितने पैसे की जरूरत होती है. उदाहरण के तौर पर अगर आप फूड बिज़नेस को शुरू करने का विचार कर रहे हैं तो उसमें आने वाला खर्च अलग हो सकता है और वहीं अगर आप किसी प्रोडक्ट के प्रोडक्शन का बिज़नेस शुरू करने का मन बना रहे हैं तो इस व्यापार में आपका बज़ट फूड बिज़नेस के बज़ट से कम या फिर ज्यादा हो सकता है.
बिज़नेस के लिए फंड जुटाने के लिए वैसे तो कई तरीकें हैं लेकिन आपको सुरक्षित फंडिंग पर ही ध्यान देना चाहिए. स्मॉल बिज़नेस के लिए सरकार द्वारा चलायी गई स्कीमों की मदद ली जा सकती है, पर्सनल लोन, खुद के द्वारा बचायी गई सेविंग का सहारा भी लिया जा सकता है. इसके अलावा कुछ वेंचर कैपिटल फंड कंपनियों से भी फंड जुटाया जा सकता है.
- टीम मैनेजमेंट (Team Management): बिज़नेस को सफल बनाने में एक टीम की अहम होती है, लेकिन अगर वह टीम अच्छी तरह से व्यवस्थित न हो तो बड़ा बिज़नेस प्लान भी धरातल पर आ सकता है. इसलिए टीम का मैनेजमेंट उतना ही जरूरी है जितना कि स्टॉर्ट-अप बिज़नेस की बाकी रणनीतियां. स्टॉर्ट-अप के लिए अच्छी टीम का चुनाव काफी चुनौतीपूर्ण होता है. आपको अपने स्टॉर्ट-अप में ऐसे लोगों को जोड़ना चाहिए जो अपने काम में निपुण और कुशल हो. इसके अलावा ऐसे लोगों का चयन करें जिन पर आप भरोसा करते हों.
- मार्केटिंग (Marketing): स्टॉर्ट-अप बिज़नेस में एक चुनौती प्रोडक्ट या सर्विस की मार्केटिंग की भी होती है. नए प्रोडक्ट या सर्विस को बाजार में उतारना बेहद कठिन होता है, क्योंकि नए प्रोडक्ट और सर्विस पर कस्टमर भरोसा नहीं जताते हैं. इसलिए स्टॉर्ट-अप बिज़नेस में मार्केटिंग पर ज्याद ध्यान दिया जाना जरूरी होता है. अपनी सर्विस और प्रोडक्ट की मार्केटिंग की एक अलग टीम बनाकर उन्हें बाजार में उतारा जाना चाहिए.
स्टॉर्ट-अप बिज़नेस में आने वाली यें वो प्रमुख चुनौतियां हैं, जो बिज़नेस के शुरुआती स्तर पर किसी भी व्यापारी के लिए काफी मुश्किलें उत्पन्न कर सकती हैं.
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