अगर मन में विश्वास और हाथों में हुनर हो तो कोई भी इंसान दुनिया को भी जीत सकता है। कुछ ऐसी ही कहानी है देश के जाने-माने आयुर्वेदिक ब्रांड विको (VICCO) की भी है। विको को केशव विष्णु पेंढारकर ने शुरू किया था। लेकिन इस कंपनी को शुरू करने के लिए उन्होंने एक लंबा संघर्ष भी तय किया था।

अपने गांव में वो एक छोटी-सी किराने की दुकान चलाया करते थे पर उनके सपनों की उड़ान उससे कहीं ज्यादा थी। उन्होंने अपने सपनों के लिए कदम बढ़ाया और अपने बिजनेस के सफर की शुरुआत की, विको कंपनी की नींव डाली जो आज हजारों करोड़ की कंपनी बन चुकी है।

कौन हैं विको के संस्थापक पेंढारकर?

केशव विष्णु पेंढारकर नागपुर महाराष्ट्र में जन्में और वहीं पले-बढ़े। घर की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा अच्छी नहीं थी जिसके चलते विष्णु जी बहुत जल्दी कमाई की राह पर निकल पड़े थे। हालांकि तब उन्होंने अपने घर पर रहकर ही एक किराने की दुकान की शुरुआत की थी। लेकिन उन्होंने वो दुकान कुछ ही दिनों में बंद कर दी और मुम्बई चले गए। वहां जाकर उन्होंने कई छोटे-बड़े उद्यमों का निरीक्षण किया और बिजनेस मार्केटिंग से जुड़ी तकनीकों को सीखा। इन चीजों को सीखने के बाद उन्होंने खुद की बनाई चीज़ों को बेचकर बिजनेस शुरू करने का फैसला किया।

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उन्होंने देखा कि मार्केट में एलोपैथिक दवाओं और कॉस्मेटिक ब्रांड्स जैसे Ponds, Nivea और Afghan Snow मार्केट में छाए हुए थे। ये सब देखते हुए उन्होंने आयुर्वेदिक ब्रांड को शुरू करने का फैसला किया। अपने पिता के नाम से उन्होंने एक कंपनी शुरू की जिसका नाम उन्होंने “Vishnu Industrial Chemicals Company” यानि VICCO को शुरू किया।

साल 1952 में इस कंपनी की शुरुआत हुई जहां केशव विष्णु पेंढारकर ने केमिकल फ्री “Teeth Powder” को बेचना शुरू किया। वो अपने इस प्रोडक्ट को बेचने के लिए लोगों के घर तक गए। उनकी ये मेहनत जल्द ही रंग लेकर आई और कंपनी शुरू होने के तीन साल में ही उसे बड़ी सफलता हासिल हुई, 1955 आते-आते कंपनी का टर्नओवर 10 लाख रुपए सालाना हो चुका था। परेल के छोटे से गोदाम में शुरू हुई ये कंपनी जल्द ही एक बड़ी फैक्ट्री में बदल गई।

पिता के सपनों को बेटे ने दी नई उड़ान

केशव विष्णु पेंढारकर के बाद विको कंपनी की कमान उनके बेटे गजानन केशव पेंढारकर ने संभाली। वो 1959 में कंपनी से जुड़े थे। उन्होंने ही 18 अलग-अलग जड़ी बूटियों से मिलाकर पहला आयुर्वेदिक टूथपेस्ट तैयार किया, आयुर्वेदिक स्किन केयर प्रोडक्ट्स बनाने में भी उन्होंने एक अहम भूमिका निभाई। अपने पिता के गुज़र जाने के बाद 1971 में गजानन केशव पेंढारकर ने पूरी तरह से विको कंपनी को संभाला और उसके बाद कभी भी पीछे पलट कर नहीं देखा।

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आज भी विको के टीवी विज्ञापन लोगों की ज़ुबान पर रहते हैं। विको आज देश का एक सफल और विश्वसनीय ब्रांड बन चुका है और 7 दशकों से लोगों के दिलों पर राज कर रहा है।