नीरजा भनोट Super Woman: अपनी जान न्यौछावर कर बचाई थी 360 जिंदगी जानें heroine of hijack की कहानी

दुनिया में ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जो अपनी जान की परवाह किए बिना दूसरों की मदद करते हैं। वो लोग हंसते हंसते अपनी जान की कुर्बानी दे देते हैं। ऐसे लोगों की महानता को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।  केवल 22 वर्ष की उम्र दूसरों के लिए मौत को गले लगाने वाली ऐसी ही एक महान शख्सियत है नीरजा भनोट। वो एक ऐसी महिला है जिसकी शहादत पर केवल भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तान की भी आंखे नम हो गई थी। खुद को मौत के हवाले करने वाली नीरजा ने कई लोगों की जिंदगी रोशन की थी।

अपने फर्ज को अंजाम देते हुए उन्होंने एक पल के लिए भी खुद के बारे में नहीं सोचा। ना उन्होंने किसी मज़हब की परवाह की ना किसी धर्म की। उनके लिए तो बस सबसे पहले लोगों की सेवा थी। नीरजा ने 5 सितंबर 1986 अपनी जान देकर कई लोगों की जान बचाई थी। भारत सरकार ने इस काम के लिए नीरजा को बहादुरी के लिए सर्वोच्च वीरता पुरस्कार 'अशोक चक्र' से सम्मानित किया था। आइए जानते हैं नीरजा भनोट की यह प्रेरणास्पद कहानी (Inspirational Story)।

राजेश खन्ना के गानों पर झूमने वाली, चुलबुली, नए सपनों की उड़ान भरने वाली नीरजा भनोट का जन्म 7 सितंबर, 1963 को चंडीगढ़ में हुआ था। नीरजा की मां का नाम रमा भनोट और पिता का नाम हरीश भनोट था। वो अपने माता-पिता की लाड़ली बेटी थी। प्यार से उनके परिजन उन्हें लाडों कहकर बुलाते थे। नीरजा के पिता पत्रकार थे। नीरजा का परिवार मुंबई में स्थापित हो गया था। नीरजा की शादी मात्र 21 वर्ष की उम्र में ही हो गई थी। लेकिन उनका वैवाहिक जीवन अच्छा नहीं था। उनका पति उन्हें दहेज के लिए परेशान करता था। जिससे तंग आकर मात्र 2 महीने में ही नीरजा वापस अपने घर मुंबई आ गई।

नीरजा ने शादी के कष्टों को सहने के बाद पैन ऍम में फ्लाइट अटेंडेंट की नौकरी के लिए अप्लाई किया। उन्होंने कई जगह मॉडलिंग भी की। वीको, बिनाका टूथपेस्ट, गोदरेज डिटर्जेंट और वैपरेक्स जैसे प्रो़डक्ट्स के कई ऐड भी किए। जिसके बाद फ्लाइट अंटेडेंट के रुप में चुने जाने पर वो मायामी गई। ट्रेनिंग के दौरान नीरजा ने एंटी-हाइजैकिंग कोर्स में एड्मिशन लिया। नीरजा की मां नहीं चाहती थी कि नीरजा दाखिला लें। उन्होंने नीरजा को नौकरी छोड़ने को कहा। लेकिन नीरजा अपने लिए कुछ करना चाहती थी। उन्होंने अपनी मां को समझाया कि अगर सब ऐसा ही करेंगे तो देश के फ्यूचर का क्या होगा। जिसके बाद उनकी मां मान गई।

नीरजा की जिंदगी में सब सही चल रही था। तभी 5 सिंतबर। 1986 को उनकी पैन एम फ्लाइट 73 मुंबई से न्यूयॉर्क जा रही थीं। प्लेन में 361 यात्री और 19 क्रू मेंबर थे। नीरजा उस प्लेन में फ्लाइट अंटेडेंट थी। उसी समय प्लेन को हाइजैक कर लिया गया। नीरजा ने जब ये बात पायलट को बताई तो तीनों पायलट  सुरक्षित निकल लिए। पायलटों के जाने के बाद पूरे प्लेन और यात्रियों की जिम्मेदारी नीरजा पर आ गई। आतंकवादियों ने नीरजा को सभी अमेरिकी नागरिकों का पता लगाने के लिए सभी के पासपोर्ट इकठ्टा करने को कहा। नीरजा ने पासपोर्ट तो इकठ्टा किए लेकिन उन्होंने चालाकी दिखाते हुए सभी अमेरिकी नागरिकों के पासपोर्ट छिपा दिए। 17 घंटे के बाद अतंकवादियों ने यात्रियों को मारना शुरू कर दिया। प्लेन में बम फिट कर दिया। लेकिन नीरजा इन सब से घबराई नहीं।

सरकार से अपनी डिमांड पूरी होते ना देख आतंकियों ने एक ब्रिटिश को प्लेन के गेट पर लाकर खड़ा कर दिया और पाकिस्तानी सरकार को धमकी दी कि यदि पायलट नहीं भेजा तो वह उसको मार देंगे। लेकिन नीरजा ने उस आतंकी से बात करके ब्रिटिश नागरिक को भी बचा लिया। इतनी देर में प्लेन का ईंधन समाप्त हो चुका था और अंधेरा भी गहराने लगा था। नीरजा को यह बात पता थी। इसलिए अंधेरा होते ही उन्होंने यात्रियों को खाना देने के साथ एक-एक पर्ची थमा दी जिसमें इमरजेंसी दरवाजे से बाहर निकलने का रास्ता था। अंधेरे में नीरजा ने तुरंत प्लेन के सारे इमरजेंसी दरवाजे खोल दिए। यात्री उन दरवाजों से बाहर कूदने लगे। यात्रियों को अंधेरे में प्लेन से कूदकर भागता देख आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। इसमें कुछ यात्रियों को हल्की –फुल्की चोट जरूर लग गई। लेकिन सभी 360 यात्री  पूरी तरह से सुरक्षित प्लेन से बाहर निकल गए थे।

सभी यात्रियों को बाहर निकाल नीरजा जैसे ही प्लान से बाहर जाने लगी तभी उन्हें बच्चों के रोने की आवाज सुनाई दी। दूसरी ओर, पाकिस्तानी सेना के कमांडो भी विमान में आ चुके थे। उन्होंने तीन आतंकियों को मार गिराया था। सबके मना करने के बाद भी नीरजा उन बच्चों को बचाने के लिए जैसी ही प्लेन के इमरजेंसी गेट की ओर बढऩे लगी तभी चौथा आतंकी सामने आ गया और नीरजा पर गोलियां चलाने लगा। नीरजा ने बच्चों को सुरक्षित नीचे धकेल दिया और खुद आंतकी से भिड़ गईं। आतंकी ने नीरजा के सीने में कई गोलियां उतार दीं। नीरजा की बहादूरी को देख हर कोई अंचभित रह गया।

केवल 22 वर्ष की आयु में नीरजा ने एक दूसरे देश के लोगों के लिए हंसते-हंसते अपनी जान कुर्बान कर दी। उस वक्त नीरजा की शहादत को देख भारत के साथ-साथ पाकिस्तान भी रोया था। यहां तक कि अमेरिका भी नीरजा के इस बलिदान के आगे नतमस्तक हो गया था। नीरजा की बहादूरी को उनकी शहादत के बाद कई अवार्ड से सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने नीरजा को सम्मान अशोक चक्र से सम्मानित किया। पाकिस्तान सरकार ने उन्हें तमगा-ए-इंसानियत से नवाज़ा। अमेरिकी सरकार ने नीरजा को 2005 में जस्टिस फॉर क्राइम अवॉर्ड से सम्मानित किया। 2004 में भारत सरकार ने उनके सम्मान में एक डाक टिकट भी जारी किया था। नीरजा इन सम्मान की सच्ची हकदार थी।

नीरजा की बहादूरी पर बॉलीवुड फिल्म का भी निर्माण हुआ था जिसमें अभिनेत्री सोनम कपूर ने नीरजा के किरदार को निभाया था। दुनिया नीरजा को ‘हीरोइन ऑफ हाईजैक’ के नाम से जानती है। नीरजा ने अपनी बहादूरी और समाज सेवा से अपनी सदियों तक चलने वाली सफलता की कहानी (Success Story) लिखी है। उनकी यह कहानी सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत (Inspiration) है। नीरजा आज भी कई लोगों के लिए एक मिसाल है, उन्हें प्रेरित (Motivate) करती हैं।

Share Now

Related Articles

एनआर नारायण मूर्ति Success Story: कभी पत्नी से लिए थे पैसे उधार, आज खड़ी कर दी अरबों की कंपनी ‘इंफोसिस’

Success Story: प्रेगनेंसी लीव पर की थी UPSC की तैयारी, अपने पहले ही प्रयास में IPS ऑफिसर बनने वाली शहनाज इलियास की प्रेरक कहानी

Success Story: कभी स्कूल में मुश्किल से आते थे 60 प्रतिशत, अब रोज़ाना 4 घंटे की पढ़ाई कर के बन गये IAS ऑफिसर, जानें जुनैद अहमद की प्रेरक कहानी

Success Story: कभी स्कूल की फीस भरने के लिए नहीं थे पैसे, अब हैं Deloitte के CEO, जानें हरियाणा के गांव से निकलकर USA पहुंचने वाले पुनीत रंजन के प्रेरक सफर के बारे में

Success Story: कभी पंचर बनाकर करते थे गुजारा अब हैं IAS अधिकारी, जानें वरुण बरनवाल के जीवन की प्रेरक कहानी

Success Story Of Aamir Qutub: कभी एयरपोर्ट पर थे सफाईकर्मी आज हैं करोड़ों की कंपनी के मालिक, जानें आमिर कुतुब के जीवन की प्रेरक कहानी

Success Story: कभी करना चाहते थे आत्महत्या, आज हैं संगीत के जादूगर, जानें ए.आर रहमान के फर्श से अर्श तक पहुंचने की प्रेरक कहानी

Success Story: संघर्ष के दिनों में चलाया ऑटो, अपनी मेहनत से बनाई हर घर में पहचान, जानें कॉमेडी किंग राजू श्रीवास्तव की संघर्ष की कहानी

Share Now