E-commerce in Hindi | ई कॉमर्स मीनिंग, प्रकार, उदाहरण के साथ

Examples ke saath jaanie e-commerce business ke prakaar.

आज के समय में अधिकतर लोग, चाहे वो शहरी क्षेत्रों के हों या ग्रामीण क्षेत्रों के, ऑनलाइन शॉपिंग कर रहे हैं। आमतौर पर जब हम किसी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से कुछ खरीदते या बेचते हैं, तो हम उसे ही ई-कॉमर्स समझ लेते हैं। लेकिन ई-कॉमर्स इससे बहुत बड़ा है और ये ई-कॉमर्स का सिर्फ एक प्रकार है।

क्या है ई-कॉमर्स?

शब्द "इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स" (ई-कॉमर्स) का मतलब हिंदी में (e-Commerce in Hindi) - "ई-वाणिज्य" या "ई-व्यवसाय" हैं।  जब हम इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन सामन खरीदते या बेचते हैं, तो उसे ही ई-कॉमर्स कहा जाता है।

किसी भी ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर व्यापारी अपने प्रोडक्ट की सारी डिटेल डाल देता है। उस डिटेल के आधार पर लोग ऑनलाइन ही इस सामान को खरीद लेते हैं। इसमें व्यापारी और कंस्यूमर कभी भी आमने सामने नहीं आते। और अधिक जानने के लिए पढ़े - ई-कॉमर्स बिजनेस क्या है? जानिए इसके लाभ और हानि

भारत में आज ई-कॉमर्स अपने बूम पर है क्योंकि आज सभी के पास मोबाइल और सस्ते डाटा प्लान होने के चलते हर कोई आज ऑनलाइन शॉपिंग कर रहा है।

ऐसे में उदाहरण के साथ जानिये ई-कॉमर्स के विभिन्न प्रकार –

  • बिज़नेस टू बिज़नेस (B2B)

किसी भी बिज़नेस में रॉ मटेरियल की ज़रूरत तो पड़ती ही है। जब एक बिज़नेस ई-कॉमर्स का इस्तेमाल करके दूसरे बिज़नेस को सामान बेचता है, तो उसे बिज़नेस टू बिज़नेस (B2B) ई-कॉमर्स कहते हैं।

ई-कॉमर्स के इस प्रकार में एक कंपनी अपना माल या सेवाएं किसी दूसरी कंपनी को देते हैं। इसमें कंपनियां या तो अपनी पर्सनल वेबसाइट्स का इस्तेमाल करती हैं या फिर अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करती हैं।

  • बिज़नेस टू कंज्यूमर (B2C)

ई-कॉमर्स का यह प्रकार आज सबसे ज्यादा प्रचलन में है और सामान्यतः इसे ही ई-कॉमर्स मान लिया जाता है। जब भी कोई कंपनी अपना प्रोडक्ट या सेवाएं कंज्यूमर को ऑनलाइन बेचती है, तो इसे बिज़नेस टू कंज्यूमर (B2C) ई-कॉमर्स कहा जाता है।

आजकल हर इंसान के पास मोबाइल और इंटरनेट होने की वजह से लोग अमेज़न, फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन प्लेटफॉर्म्स पर कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स की डिटेल डाल देती हैं। उस डिटेल को देखकर लोग सामान खरीद लेते हैं, इसे ही बिज़नेस टू कंज्यूमर (B2C) ई-कॉमर्स कहते हैं।

  • कंज्यूमर टू कंज्यूमर (C2C)

ई-कॉमर्स में आमतौर पर बिज़नेस अन्य बिज़नेस को या बिज़नेस अपने कंज्यूमर्स को सामान बेचता है। जब कंज्यूमर्स आपस में ही ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से सामान या सेवाओं का लेनदेन करते हैं, तो उसे कंज्यूमर टू कंज्यूमर ई-कॉमर्स कहते हैं।

इसके लिए कुछ प्रमुख ई-कॉमर्स वेबसाइट्स हैं OLX, eBay, आदि। इन प्लेटफॉर्म्स पर खरीदने और बेचने वाले दोनों ही आम लोग होते हैं, ना कि कोई बिज़नेस।

  • कंज्यूमर टू बिज़नेस (C2B)

ई-कॉमर्स का यह प्रकार बिज़नेस टू कंज्यूमर के उलट है। इसमें कंज्यूमर अपने प्रोडक्ट या सेवाएं कंपनियों को बेचते हैं।

जैसे मान लीजिये कोई इंसान ग्राफ़िक डिज़ाइनर या कंटेंट राइटर हैं, तो आप फ्रीलांसिंग के ज़रिये अपनी सेवाएं कंपनियों को बेचते हैं।

  • बिज़नेस टू एडमिनिस्ट्रेशन (B2A)

सरकारी संस्थाएं कई रूपों में कंपनियों पर निर्भर करती हैं, जैसे किसी सरकारी संस्था की वेबसाइट्स बनवाना, कोई ऐप तैयार करवाना आदि। ऐसे में ये संस्थाएं टेंडर निकालती हैं और इन टेंडर्स के आधार पर कंपनियां बोली लगाती हैं। जिस कंपनी की बोली सबसे ज्यादा होती है, सम्बंधित काम करने की जिम्मेदारी उस संस्था की होती है, इस पूरे प्रोसेस को ही बिज़नेस टू एडमिनिस्ट्रेशन ई-कॉमर्स कहा जाता है।

  • कंज्यूमर टू एडमिनिस्ट्रेशन (C2A)

जब आम जनता इंटरनेट का इस्तेमाल करके सरकारी संस्थाओं से जुड़ती है, तो उसे कंज्यूमर टू एडमिनिस्ट्रेशन ई-कॉमर्स कहा जाता है। आज के समय में सरकारी संस्थाओं में पारदर्शिता लाने के लिए और आमजन को सुविधा देने के लिए सरकारी संस्थाओं की कई गतिविधियां जैसे - आयकर रिटर्न भरना, बिजली बिल, टेलीफोन बिल का भुगतान करना जैसी और भी कई गतिविधियां ऑनलाइन हो गयी हैं।

ये सभी ई-कॉमर्स के प्रमुख प्रकार हैं। आज जितनी भी ई-कॉमर्स की गतिविधियां हो रही हैं, वे सभी इन्हीं में से किसी एक के अंतर्गत आती हैं।


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