किसी भी स्टार्टअप को कामयाब होने से पहले मार्केट में बने रहना बहुत महत्वपूर्ण होता है. अमूमन मार्केट के एक बड़े हिस्से पर बड़ी कंपनियों का दबदबा होता है. बिजनेस में बड़ी कंपनियों का प्रभुत्व छोटे और बढ़ते स्टार्टअप्स के लिए हमेशा चिंता का कारण बनता है. दरअसल बड़ी कंपनियों के कारण स्टार्टअप्स को व्यवसायिक समुदाय में खुद की पैठ जमाने में कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. National Startup Awards 2021: राष्ट्रीय स्टार्टअप सम्मान 2021 के लिए आवेदन शुरू, विजेता को मिलेगा बंपर कैश प्राइज
अक्सर ऐसे देखा जाता है कि बड़ी कंपनियां स्टार्टअप्स को इस कदर नुकसान पहुंचाती है कि वे या तो मार्केट से निकल जाते हैं या पूरी तरह से समाप्त हो जाते हैं. इसलिए हर स्टार्टअप को बाजार में हिस्सेदारी के लिए मजबूत रणनीति बनाना बेहद जरुरी होता है. स्टार्टअप्स पर बड़ी कंपनियों का प्रभुत्व कंज्यूमर्स से उत्पन्न होता है. अगर स्टार्टअप्स खुद को बड़ी कंपनियों से अलग पेश करें तो कंज्यूमर्स का अटेंशन हासिल कर सकते है. नतीजतन मार्केट में हिस्सेदारी पाने में कामयाबी मिल जाएगी.
स्टार्टअप्स इन तरीकों से खुद को बना सकते हैं बड़ी कंपनियों से अलग-
- मुकाबले की सही तैयारी
स्टार्टअप को सफल होने के लिए टारगेट कस्टमर, पॉपुलेशन, मार्केट, जेंडर और इकोनॉमिक कुशलता के आधार पर खुद को तैयार करना चाहिए. छोटी कंपनियां कीमतों का लाभ लेने में सक्षम हो सकती हैं. इस में देश व राज्य की पॉलिसी भी बहुत मायने रखती है. विशेष रूप से, एक देश की आर्थिक योजनाएं छोटी कंपनियों को मार्केट का अन्वेषण करने के लिए अन्य कंपनियों के साथ समान मौके प्रदान करने में मदद पहुंचाती है. अधिकांश पॉलिसियां स्टार्टअप्स को ग्रोथ करने के लिए उपयुक्त परिस्थिति प्रदान करती है. हालांकि व्यापार के सही संचालन के लिए मार्केट कि अस्थिरता को भी ध्यान में रखना जरुरी होता है.
- बाहरी परामर्श जरुरी
कई बार देखा गया है कि स्टार्टअप्स समस्याओं को लेकर जरुरत से ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं. चूंकि वे मार्केट में नए होने के कारण अनेक समस्याओं से उनका पहली बार सामना होता है और उससे निपटने में विफल हो जाते है. इस समस्या से निपटने के लिए कंपनियों को एक सलाहकार रखना चाहिए जो उनके ऑफिस में नियमित रूप से काम करे. फर्म का सलाहकार मानव संसाधन का कोई वरिष्ठ प्रोफेशनल होना चाहिए, जिसे संबंधित क्षेत्र में काम करने का अच्छा अनुभव हो. एम्प्लॉई रिलेशन, रिक्रूटमेंट के अनुभव के साथ ही सलाहकार के पास कंपनी कि एडमिनिस्ट्रेशन टीम को मदद करने का भी तरीका आना चाहिए.
- प्रतिस्पर्धा के अनुसार ब्रांड बनाएं
किसी भी प्रोडक्ट की सेल उसके कंपनी ब्रांड पर बहुत अधिक निर्भर करती है. इसलिए स्टार्टअप्स को क्वॉलिटी, इमेज और ब्रांड की कम्युनिटी पर विशेष ध्यान देना चाहिए. कंपनी के ब्रांड के इनबाउंड (Inbound) और आउटबाउंड (Outbound) मार्केटिंग प्रयासों के साथ मेल खाना चाहिए. इनबाउंड मार्केटिंग से स्टार्टअप्स का भविष्य तय हो सकता है. स्टार्टअप्स को अपने संभावित कंज्यूमर्स को आकर्षित करने वाला ब्रांड इमेज बनाना चाहिए. इसलिए सबसे पहले संभावित कंज्यूमर्स को समझना आवश्यक होता है.
- मूल्य निर्धारण और उत्पाद है अहम
स्टार्टअप्स के लिए Pricing, Product और Organization सफलता की सीढ़ी बन सकता है. प्रोडक्ट की कीमत इनकम और प्रॉफिट पर निर्भर करता है और मांग और पूर्ती के अनुसार इसे बदला जा सकता है. मार्केट में हिस्सेदारी को बढ़ाने के लिए स्टार्टअप्स कम कीमत या बेहतर प्रोडक्ट और सर्विस पेश कर खुद को बड़ी कंपनियों से अलग कर सकती हैं. स्टार्टअप्स अपने द्वारा प्रदान किए जाने वाले उत्पादों के माध्यम से बड़ी कंपनियों से खुद को अलग दिखा सकती हैं. कई बार मार्केट में खुद को स्थापित करने के लिए प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में कंज्यूमर्स से कम कीमत वसूलना फायदेमंद साबित होता है. लेकिन स्टार्टअप्स को कंज्यूमर्स की संतुष्टि का ख्याल रखना सबसे जरुरी है, क्योकि लंबे समय तक कंज्यूमर्स को खुद से जोड़े रखने में यही फैक्टर मील का पत्थर साबित होगा.
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