अमेरिका की नई टैरिफ नीति:
- 9 अप्रैल 2025 को, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 185 देशों से आयातित वस्तुओं पर 10% का बेसलाइन टैरिफ लागू किया, जिसमें चीन से आयात पर कुल 104% का Tariff War शामिल है।
- यूरोपीय संघ और भारत पर क्रमशः 20% और 26% के टैरिफ लगाए गए हैं। ट्रंप प्रशासन का दावा है कि ये टैरिफ अमेरिकी विनिर्माण को पुनर्जीवित करने और आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए आवश्यक हैं।
चीन की प्रतिक्रिया:
- चीन ने अमेरिकी उत्पादों पर 34% का प्रतिशोधी टैरिफ लगाया है और अमेरिका पर "एकतरफा धमकी" देने का आरोप लगाया है।Tariff War
- चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि वे अंत तक लड़ने के लिए तैयार हैं और अमेरिका के इस कदम को ब्लैकमेलिंग करार दिया है।
वैश्विक बाजारों पर प्रभाव:
इन टैरिफों के परिणामस्वरूप वैश्विक शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी गई है। जापान का निक्केई 225 सूचकांक 3.9% गिरा, जबकि जर्मनी का DAX और फ्रांस का CAC 40 क्रमशः 2.5% से अधिक गिरे। अमेरिकी बाजारों में भी भारी गिरावट आई है, जिसमें S&P 500 वर्ष की शुरुआत से अब तक 15% से अधिक नीचे है।
भारत पर प्रभाव:
- गोल्डमैन सैक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत अपेक्षाकृत रूप से अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के झटकों से अछूता रहेगा, हालांकि 2025 में जीडीपी वृद्धि दर 6.3% तक धीमी हो सकती है।
- यह धीमापन मुख्यतः आरबीआई द्वारा लागू किए गए सख्त क्रेडिट ग्रोथ और वित्तीय समेकन के कारण होगा।
- हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को इस व्यापार युद्ध से महत्वपूर्ण लाभ नहीं होगा, क्योंकि कई भारतीय उद्योग चीनी आयात पर निर्भर हैं, जिससे प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित होती है।
- निष्कर्ष:
अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते Tariff War से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, जिसमें भारत भी शामिल है। भारत को अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि वह इन वैश्विक परिवर्तनों से उत्पन्न अवसरों का लाभ उठा सके।