किसी काम को करने की अगर आपके पास इच्छा शक्ति है तो आपके लिए कोई भी काम नामुमकिन नहीं है। इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण हैं यतिंदर सिंह जिन्होंने हाल ही में अपनी इच्छाशक्ति की मदद से एशिया चैम्पियन का खिताब अपने नाम किया है। एक समय ऐसा भी था कि एक एक्सीडेंट के कारण उन्होंने 16 महीने व्हीलचेयर पर बिताए थे। लोगों ने कयास लगाने शुरू कर दिये कि वो कभी चल-फिर नहीं पाएंगे लेकिन आज वो न केवल अपने पैरों पर खड़ें हैं बल्कि चैंपियन ऑफ चैंपियन बन कर सभी के सामने आये हैं। इनके नाम अब तक काफी खिताब हैं जिनमें मिस्टर एशिया, मिस्टर वर्ल्ड और चैंपियन ऑफ चैंपियन जैसे कई अवार्ड शामिल हैं। इनकी मेहनत और उपलब्धि का ही परिणाम है कि फिटनेस इंडस्ट्री से जुड़ा शायद ही कोई शख्स इन्हें ना जानता हो लेकिन इनके लिए ये मुकाम हासिल करना आसान नहीं था। तो आइए जानते हैं इनके जीवन के प्रेरक सफर के बारे में।

बचपन में थे कमजोर

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के एक सामान्य परिवार में जन्में यतिंदर सिंह बचपन में काफी कमजोर थे। उनके घर में दादा जी और पिता का शारीर काफी लंबा चौड़ा था जबकि 12 साल की उम्र तक वो काफी दुबले-पतले थे जिसके कारण घर में सब परेशान रहने लगे। एक समय इनके टीचर ने भी कह दिया इसका कुछ नहीं हो सकता है। बस यही वो समय था जब यतिंदर सिंह ने ठान लिया कि उन्हें कुछ करना है, कुछ बनना है।

शिक्षक के तानो के बाद जिम करना किया शुरू

टीचर के तानों के बाद यतिंदर ने जिम जाना शुरू कर दिया। वे घंटो जिम में रहकर कसरत करने लगे। उनके ऊपर बॉडी बनाने का जूनून सवार हो गया। ये अपनी अच्छी बॉडी का श्रेय अपने कोच को देते हैं। यतिंदर बताते हैं कि उनके इस सफर में उनके कोच ने भी बहुत मेहनत की है। वे शहर में होने वाले हर बॉडी बिल्डिंग कॉम्पीटीशन में उन्हें लेकर जाने लगे। इससे प्रभावित हो कर यतिंदर ने फिटनेस और बॉडी बिल्डिंग में अपने कैरियर को आगे बढ़ाने का फैसला किया।

कोच की मदद से बनाई बॉडी

अपने करियर को चुनने के बाद अपनी पहचान बनाने के लिए साल 2003 में यतिंदर ने बतौर जिम ट्रेनर जॉब ज्वाइन की। इसके साथ ही वे आसपास के जिलों में होने वाले बॉडी बिल्डिंग कॉम्पीटीशन में हिस्सा लेते थे। देखते ही देखते कुछ ही महीनों में इन्होंने सहारनपुर में बॉडी बिल्डिंग की फील्ड में अपनी पहचान बनाई। साल 2004 में इन्होंने 75 किलोग्राम वर्ग में पहला फेडरेशन कप जीता था। इसके बाद इन्होंने साल दर साल कई अवार्ड अपने नाम किये।

एक हादसे से बदल गई ज़िंदगी

साल 2006 तक यतिंदर सिंह के जीवन में सब सही चल रहा था तभी एक बड़े एक्सीडेंट ने उनकी जिंदगी बदल दी। उस हादसे में उनकी स्पाइनल कॉर्ड की एल-4, एल-5 और एस-1 पूरी तरह डैमेज हो गई। इस सर्जरी में डॉक्टर्स ने यतिंदर की स्पाइनल कॉर्ड को छोटा किया जिसके कारण उनका शरीर दाएं तरफ से पूरी तरह पैरालाइज हो गया। ये वो समय था जब यतिंदर खुद से चल-फिर भी नहीं पाते थे। इस दौरान उन्होंने 16 महीने व्हीलचेयर पर बिताए। इस समय सभी को लगने लगा था कि वो कभी चल-फिर नहीं पाएंगे। लेकिन उन्होंने प्रण लिया कि कुछ भी करके फिर से अपने पैरों पर खड़ें होंगे।

इच्छाशक्ति से बनें वर्ल्ड चैंपियन

व्हीलचेयर पर 16 महीने बिताने के बाद उन्होंने फिर एक बार जिम जाने की ठानी जिसके बाद यतिंदर ने दोबारा ट्रेनिंग शुरू कर दी। वे लगातार 7 सालों तक जिम में पसीना बहाते रहे, मेहनत करते रहे। 2015 में यतिंदर सिंह ने वर्ल्ड बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में भाग लिया और उन्होंने यह प्रतियोगिता अपने नाम कर ली। उन्होंने वर्ल्ड चैंपियन बनकर लोगों  को दिखा दिया कि अगर आपके अंदर इच्छाशक्ति हो तो आपके लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं है।

यतिंदर सिंह आज खुद का फिटनेस क्लब चलाते हैं और दूसरों को बेहतर जिंदगी जीने के लिए मोटिवेट करते हैं। उनके नाम साल 2015 का फिजीक चैंपियनशिप ख़िताब भी है। साथ ही साल 2016 में इन्होंने मिस्टर इंडिया का ख़िताब अपने नाम किया था। इसके अलावा हाल ही में इन्होंने मिस्टर एशिया 2022 का खिताब अपने नाम करके सफलता की नई कहानी लिखी है। आज वो लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।