भारत में बड़ी संख्या में लोग एक्सपोर्ट और इम्पोर्ट बिजनेस से जुड़े हुए है. जबकि अनेकों इसे करने की ख्वाइश रखते है. यह बिजनेस केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित नीति विदेश व्यापार नीति द्वारा विनियमित हैं. निर्यात निर्यात व्यवसाय शुरू करने से पहले एक निर्यातक को बहुत सारी तैयारियां करनी पड़ती है. निर्यातक बनकर आवश्य मुनाफा कमाया जा सकता है, लेकिन इसमें अपनी पैठ बनाने के लिए जटिल प्रक्रियाओं और स्पर्धा से गुजरना पड़ता है.

देश की विदेश व्यापार (विकास और विनियमन) अधिनियम के अनुसार निर्यात का अर्थ- भारत के किसी भी सामान को भूमि, समुद्री या हवाई मार्ग से बाहर निकालने और पैसे के उचित लेन-देन के तौर पर परिभाषित किया जाता है. निर्यात व्यवसाय में सफल होने के लिए हर कारोबारी निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए. इससे नुकसान की गुंजाईश न के बराबर हो जाती है.

आर्डर कन्फर्मेशन

आर्डर कन्फर्म करने से पहले आइटम, विनिर्देश (Specification), भुगतान की स्थिति, पैकेजिंग, डिलीवरी शेड्यूल आदि के संबंध में सावधानीपूर्वक जांच की जानी चाहिए. सब कुछ अपेक्षा के मुताबिक होने पर ही आर्डर की पुष्टि की जानी चाहिए. तदनुसार, निर्यातक (Exporter) विदेशी खरीदार के साथ एक औपचारिक कॉन्ट्रैक्ट कर सकता है.

माल की खरीद

आर्डर कन्फर्मेशन के बाद एक्सपोर्टर को निर्यात के लिए आवश्यक वस्तुओं की खरीद / निर्माण के लिए तत्काल कदम उठाया जाना चाहिए. यह याद रखना चाहिए कि आर्डर बहुत प्रयासों और प्रतिस्पर्धा से प्राप्त किया गया है, इसलिए खरीद पूरी तरह से खरीदार की अपेक्षाओं के अनुसार ही होनी चाहिए.

क्वालिटी कंट्रोल

आज के प्रतिस्पर्धी युग में एक्सपोर्ट वस्तुओं के बारे में सख्त गुणवत्ता के प्रति जागरूक होना आवश्‍यक है. खाद्य और कृषि, मत्स्य, कुछ रसायन आदि, जैसे कुछ उत्‍पादों का शिपमेंट से पूर्व जांच करना बेहद जरुरी है. विदेशी खरीदार भी अपने स्वयं के मानक/विशिष्टताएं निर्धारित कर सकते हैं और अपनी नामित एजेंसियों द्वारा सामान की जांच कर सकते है या फिर आपके द्वारा कराये जाने पर जोर दे सकते हैं. एक्सपोर्ट बिजनेस में टिके रहने के लिए उच्च गुणवत्ता बनाए रखना अनिवार्य है.

रियायती ब्याज दरों पर कर्ज

एक्सपोर्टर लेनदेन को पूरा करने के लिए रियायती ब्याज दरों पर वाणिज्यिक बैंकों से प्री-शिपमेंट और पोस्ट-शिपमेंट वित्त प्राप्त करने के लिए पात्र हैं. नए एक्सपोर्टर को एलसी के लदान या कन्‍फर्मड आर्डर पर लदान-पूर्व चरण में 180 दिनों के लिए पैकिंग क्रेडिट अग्रिम दी जाती है ताकि कच्चे माल / तैयार माल, श्रम खर्च, पैकिंग, परिवहन, आदि की खरीद के लिए पूंजी आवश्यकताओं वाले काम पूरा कर सकें. इससे आपको आर्थिक बाधाओं से मुक्ति मिलेगी.

लेबलिंग-पैकेजिंग और पैकिंग

एक्सपोर्ट के सामान को खरीदार के विशिष्ट निर्देशों के अनुसार लेबल, पैकेज और पैक किया जाना चाहिए. समान की अच्छी पैकेजिंग सदैव अच्छी कीमत दिलाएगी. सामान को आर्डर के हिसाब से आकर्षक बनाया जाना चाहिए. अच्छी पैकिंग आसान रखरखाव, अधिकतम लोडिंग, शिपिंग लागत को कम करने और कार्गो की सुरक्षा और मानक सुनिश्चित करने में मदद करती है. पते, पैकेज संख्या, बंदरगाह और गंतव्य स्‍थल, वजन, हैंडलिंग निर्देश आदि जैसी चीजे अच्छी तरह से प्रिंट होनी चाहिए. जिससे माल की पहचान और उससे जुडी जानकारी हासिल करने में आसानी हो. इन बातों का ध्यान रखने पर आपके प्रोडक्ट की तेज और कुशल डिलीवरी सुनिश्चित होगी.