छोटी सी सोडा शॉप आज है 1900 करोड़ की आइसक्रीम ब्रांड। जानिये वाडीलाल की सफलता की कहानी

Vadilal - Small soda shop is today an ice cream brand worth Rs 1900 crore

बच्चे हों, बड़े या बुजुर्ग, आइसक्रीम खाना किसे पसंद नहीं है। आज के दौर में लगभग सभी हर एक मौसम में आइसक्रीम खाना पसंद करते हैं। आज भारत में आइसक्रीम के कई सारे बड़े स्वदेशी और विदेशी ब्रांड्स भी हैं। लेकिन आज़ादी के पहले बहुत ही कम आइसक्रीम ब्रांड थे, ऐसे में एक इंसान ने अहमदाबाद में एक छोटी सी सोडा शॉप शुरू की।

उस समय ज्यादा संसाधन नहीं थे। इसके अलावा देश में स्वदेशी आंदोलन चल रहा था। ऐसी परिस्थिति में इस सोडा शॉप में हाथ से आइसक्रीम बनाई जाती थी। कभी एक सोडा शॉप के रूप में शुरू हुई वह कंपनी आज ना सिर्फ भारत में, बल्कि विदेशों में भी एक फेमस आइसक्रीम ब्रांड बन चूका है।

आज जानिये वाडीलाल आइसक्रीम के एक प्रसिद्ध आइसक्रीम ब्रांड बनने की कहानी –

जब हाथों से बनाते थे आइसक्रीम

वाडीलाल की स्थापना 1907 में अहमदाबाद में वाडीलाल गांधी के द्वारा हुई थी।

उस समय उन्होंने एक स्ट्रीट सोडा शॉप के रूप में शुरू की थी। उस समय भारत में विदेशी सामान का बहिष्कार किया जाता था और स्वदेशी आंदोलन चल रहा था। ऐसे में वाडीलाल ने कुछ समय बाद आइसक्रीम बनाने के लिए पुरानी कोठी तकनीक का इस्तेमाल किया। इस तकनीक में बर्फ में दूध आदि को मिलाकर हैंडमेड आइसक्रीम बनाते थे। इसके बाद उसे थर्माकोल के कंटेनर में बर्फ की सिल्लियों के बीच रखकर गली गली घूमकर आइसक्रीम बेचते थे।

1926 में जर्मनी से लाये मशीन

वाडीलाल जी के द्वारा बनाई आइसक्रीम का स्वाद लोगों को बहुत पसंद आ रहा था, धीरे धीरे उनकी सेल बढ़ने लगी। कुछ समय बाद वाडीलाल जी के बिज़नेस की बागडौर उनके बेटे रणछोड़लाल ने संभाली। कुछ समय तक वो भी उसी हैंडमेड तकनीक से आइसक्रीम बनाते रहे। उनकी आइसक्रीम की डिमांड लगातार बढ़ रही थी, जिसे हैंडमेड तकनीक से पूरा करना मुश्किल हो रहा था। ऐसे में रणछोड़लाल ने 1926 में जर्मनी से हाईटेक आइसक्रीम मेकिंग मशीन मंगवाई, जिसके बाद वो बड़े स्तर पर आइसक्रीम बनाने लगे।

ऐसे बनी वाडीलाल आइसक्रीम प्राइवेट लिमिटेड

हाईटेक मशीन मंगवाने से वे ज्यादा से ज्यादा आइसक्रीम बनाने लगे। इसके कुछ ही दिनों बाद वाडीलाल ने अहमदाबाद में अपना पहला रिटेल स्टोर वाडीलाल सोडा फाउंटेन के नाम से शुरू किया। वहां लोग दूर दूर से उनकी आइसक्रीम खाने आते थे और वाडीलाल का स्वाद लोगों की जबान पर चढ़ चुका था, कुछ ही दिनों में वाडीलाल ने अहमदाबाद में 4 और आउटलेट शुरू किये।

1961 में रणछोड़लाल के बेटों रामचंदभाई और लक्ष्मण भाई ने वाडीलाल आइसक्रीम प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कंपनी को रजिस्टर किया।

जल्द ही बन गया इंटरनेशनल ब्रांड

1970 के दशक में भारत में आइसक्रीम की इंटरनेशनल कम्पनियां आने लगी। वहीं वाडीलाल अपने शाकाहारी ऑप्शंस के कारण भारत का सबसे बड़ा ब्रांड बन गया था और इसीलिए उनकी पहली पंचलाइन थी "फास्टिंग आइसक्रीम" यानी उपवास के लिए आइसक्रीम। 1991 में वाडीलाल ने वाडीलाल क्विक ट्रीट्स लॉन्च किया, जिसमें फ्रोज़न स्प्राउट्स, सब्जियां, फल आदि मिलते थे। 1995 में वाडीलाल ने अमेरिका में फ्रोज़न सब्जियां आदि बेचने वाला पहला भारतीय ब्रांड बन गया।

वाडीलाल ने लोगों की डिमांड को ध्यान में रखते हुए कई सारे फ्लेवर्स पेश किये। वाडीलाल भारत के साथ दुनिया का एक प्रसिद्ध आइसक्रीम ब्रांड बन चुका है। आज वाडीलाल भारत के अलावा 45 देशों में लोगों द्वारा पसंद किया जा रहा है और आज यह 19 सौ करोड़ की एक कंपनी बन चुकी है।


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