Zomato Success Story: एक छोटे से Idea से शुरू की कंपनी आज है करोड़ों की वैल्यू
दोस्तों की महफिल में बैठे हो या ऑफिस में कुछ अच्छा खाने का मन करने लगे तो अक्सर लोग मोबाइल निकाल कर झट से लाल रंग के आइकन वाले एक एप को खोल कर अपने पसंदीदा रेस्टोरेंट से ऑर्डर करने लग जाते हैं। जाहिर है आपने भी ऐसा किया ही होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस एप को बनाने का आइडिया दीपिंदर गोयल को खाना खाने के लिए लगी लाइन को देखकर आया था। बस अपने इसी आइडिया पर भरोसा रखते हुए दीपिंदर गोयल ने काम करना शुरु किया और अब लाखों-करोड़ों की कंपनी बना दी। एक छोटे से आइडिया में काम कर के दीपिंदर ने साबित कर दिया कि कोई भी चीज़ असंभव नहीं है बस जरूरत है तो मौके को तलाश कर के उस पर काम करने की। तो आइए जानते हैं कि कैसे एक मामूली सा आइडिया आज लाखों करोड़ों की कंपनी में तब्दील हो चुका है
स्कूल में दो बार हुए थे फेल
जोमाटो के फाउंडर दीपिंदर गोयल का जन्म पंजाब के मुत्तसर जिले में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ। इनके माता और पिता दोनों ही शिक्षक थे लेकिन उनका मन कभी भी पढाई में नही लगता था। जिसके कारण दीपिंदर अपनी स्कूली शिक्षा लेते वक्त दो बार फेल हो गये थे। पहली बार जब वे कक्षा 6 में थे तब फेल हुए थे और दूसरी बार जब वो 11 कक्षा में थे तब फेल हुए थे। लेकिन 11वीं के बाद उन्होंने अपना सारा फोकस पढ़ाई में लगाया और पहले प्रयास में ही उन्होंने IIT की परीक्षा पास की।
ऐसे आया जोमाटो का ख्याल
IIT दिल्ली से अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई को पूरा करने के बाद दीपिंदर ने 2006 में मैनेजमेंट कंसल्टिंग कंपनी बेन एड कंपनी में नौकरी शुरू की। नौकरी के दौरान उन्होंने अपने कलीग्स को कैफेटेरिया के मेन्यू कार्ड के लिए लंबी लाइनों में लगते देखा। जिसके बाद उनके दिमाग में एक विचार आया और उन्होंने मेन्यू कार्ड स्कैन कर के साइट पर डाल दिया जो काफी लोकप्रिय हुआ। साइट की लोकप्रियता के बाद उन्होंने अपने एक कलीग पंकज चड्ढा से इस आइडिया के बारे में बात की।
इस तरह हुई थी जोमाटो की शुरूआत
जोमाटो एक फूड एग्रीगेटर ऐप है जिस पर आपके आस-पास के कई रेस्टोरेंट, होटल और ढाबे के मेन्यू कार्ड होते हैं। इसकी मदद से आप घर बैठे इन मेन्यू को देखकर अपनी पसंद का ऑर्डर कर मंगवा सकते हैं। जोमाटो को शूरू करने का सबसे पहले आइडिया दीपिंदर गोयल और पंकज चड्ढा को साल 2008 में आया था। उस वक्त उन्होंने एक रेस्टोरेंट और फूड लिस्टिंग वेबसाइट के रूप में कंपनी की शुरुआत की थी, जिसे 'फूडीबे' कहा जाता है। फूडीबे डॉट कॉम को मिल रही सफलता ने दीपिंदर गोयल को आत्मविश्वास से भर दिया था। जिसके बाद उन्होंने फूडीबे को जोमाटो में बदल दिया।
कंपनी को मिलने लगी फंडिंग
शुरूआती समय में जोमाटो केवल अपनी वेबसाइट पर एडवर्टाइजमेंट के माध्यम से ही अपना रेवेन्यू कमा रहा था। जिसके बाद 2010 में नौकरी डॉट कॉम के संजीव बिखचंदानी ने अपनी पेरेंट कंपनी के जरिए जोमाटो में 1 मिलियन डॉलर का निवेश किया। 2010 से 2013 तक इन्फोएज ने जोमाटो में 16.7 मिलियल डॉलर का निवेश किया। जो कि आज के समय में इन्फोएज के पास जोमाटो का 57.9 प्रतिशत शेयर है। जिसके बाद साल दर साल अलग-अलग कंपनी ने जोमाटो में निवेश करना शुरू किया। फ़रवरी 2021 में जोमाटो को पांच इन्वेस्टर से 250 मिलियन डॉलर का फण्ड प्राप्त हुआ, जिसमें टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट भी शामिल था।
भारत के अलावा विदेशी होटलों को किया शामिल
2012 में जोमाटो ने यूएई, श्रीलंका, क़तर, यूनाइटेड किंगडम, फिलिपीन्स, साउथ अफ्रीका में विस्तार किया। 2013 में टर्की, ब्राज़ील, न्यूज़ीलैंड भी इस सूची में जुड़ गए। जोमाटो ने अपनी फंक्शनेलिटी को बढ़ाते हुए देश और दुनिया के लिए ऑनलाइन टेबल रिजर्व करना और घर बैठे होटल का खाना खाना संभव कर दिया।
जोमाटो और उनके फाउंडर ने साबित कर दिया कि कोई भी आइडिया छोटा नहीं होता है। किसी भी आइडिया पर अगर सही से काम किया जाए तो सफलता एक दिन जरूर मिलती है। लेख के बारे में आप अपनी टिप्पणी को कमेंट सेक्शन में कमेंट करके दर्ज करा सकते हैं। इसके अलावा आप अगर एक व्यापारी हैं और अपने व्यापार में कठिन और मुश्किल परेशानियों का सामना कर रहे हैं और चाहते हैं कि स्टार्टअप बिज़नेस को आगे बढ़ाने में आपको एक पर्सनल बिज़नेस कोच का अच्छा मार्गदर्शन मिले तो आपको PSC(Problem Solving Course) का चुनाव जरूर करना चाहिए जिससे आप अपने बिज़नेस में एक अच्छी हैंडहोल्डिंग पा सकते हैं और अपने बिज़नेस को चार गुना बढ़ा सकते हैं।