कभी ठेले पर फल बेचते थे चंदन कुमार, फिर सरकारी लोन लेकर खड़ा किया अपना बिज़नेस

Success story of Ranchi's fruit seller Chandan.

कोई भी काम और प्रोफेशन छोटा नहीं होता है अगर आपके मन में हौंसला है तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है। ऐसी ही कहानी रांची के चंदन कुमार चौरसिया की है जिन्होंने हौंसले और मेहनत से अपनी किस्मत के लिखे को बदल दिया।

बचपन से चंदन का जीवन संघर्ष से भरा हुआ था, उनके पिता ठेले पर घूम-घूम कर फल बेचा करते थे, चंदन भी उनके साथ यही काम करने लगे। लेकिन उन्होंने बचपन में ही ये तय कर लिया था कि वो अपने इस काम और हालात को बेहतर बनाकर रहेंगे।

लोन लेकर शुरू किया पहला बिजनेस

फल बेचने के काम में इतनी कम कमाई थी कि घर चलाने में अक्सर कठिनाई का सामना करना पड़ता है। जिसे देखते हुए चंदन कुमार ने अपने पिता के बिजनेस को बड़े स्तर पर ले जाने का सोचा। 35 साल की उम्र में चंदन ने बिजनेस की दुनिया में उतरने का फैसला किया, पैसे की तंगी के सामने भी उन्होंने हार नहीं मानी और प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत लोन लेने का सोचा। पहली बार में उन्हें इस योजना के तहत 50 हज़ार रुपए का लोन मिला जिसे उन्होंने अपने फल के बिजनेस में निवेश किया।

चंदन का ये बिजनेस चल पड़ा और जल्द ही अपनी कमाई से चंदन ने लोन की पुरानी राशि का भुगतान किया। जिसके बाद फिर चंदन ने डेढ़ लाख का लोन दोबारा लिया और अपने फलों के बिजनेस को और भी बड़े स्तर पर करना शुरू किया। इस सफलता से चंदन के हौंसले बुलंद होते चले गए जिसके बाद चंदन ने स्थानीय बाजारों आगे बढ़ कर दूसरे राज्यों की बड़ी मंडियों से जुड़कर काम करना शुरू किया।

पिता और भाई को भी अपने साथ बढ़ाया आगे

चंदन ने देश की दूसरी बड़ी मंडियों के साथ फल लाकर रांची के अंदर बेचना शुरू किया जिससे ना सिर्फ उन्हें मुनाफा हुआ बल्कि धीरे-धीरे मंडियों में चंदन की पहचान भी बनने लगी। लोग नाम सुनकर दूर-दूर से इनके पास फल खरीदने आने लगे। इस बिजनेस में चंदन ने अपने पिता और भाई को भी साथ में जोड़ लिया, ऐसा करने से चंदन ने पिता को घूम-घूम कर फल बेचने से तो रोका ही साथ ही अपने भाई की बेरोजगारी को भी दूर कर दिया।

पिता और भाई के साथ जुड़ जाने से चंदन कुमार के बिजनेस को और भी मजबूती मिली। अच्छी कमाई भी होने लगी जिससे चंदन ने दूसरी बार लिया हुआ लोन भी बैंक को जल्द लौटा दिया। रांची के डोरंडा बाज़ार में चंदन और उनका परिवार आज अपने फलों के व्यवसाय को सफलतापूर्वक करते हैं। कभी रोजमर्रा की जरूरतों को भी ढंग से पूरा ना कर पाने वाला चंदन का परिवार आज आर्थिक तौर पर मजबूत हो चुका है। चंदन जिनका जीवन बचपन से ही संघर्षपूर्ण रहा वो आज अपने बच्चों को कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाते हैं ताकि जिस संघर्ष से वो गुज़रे हैं उसका सामना उनके बच्चों को ना करना पड़े।


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