International Literacy Day 2021: सारक्षरता ही है विकास की पहली सीढ़ी
बदलते युग में व्यक्ति के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए वैसे तो बहुत सी कड़िया और माध्यम मौजूद हैं, लेकिन युग परिवर्तन में जिस महत्वपूर्ण कड़ी का सबसे बड़ा योगदान है, वो है साक्षरता. जिसके बिना शायद ही किसी भी समाज की उन्नति और उसके विकास की कल्पना की जाए. मौलिक अधिकारों के साथ ही साक्षरता भी व्यक्ति का महत्वपूर्ण अधिकार है, जो हर व्यक्ति की सामान्य जरूरत में से एक है. साक्षरता के महत्व और व्यक्ति के जीवन में इसके उत्तम प्रभाव को देखते हुए ही 17 नवंबर 1965 को यूनेस्को ने हर साल 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया. चलिए इस अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर उसके महत्व, इस साल की उसकी थीम और सामाजिक विकास में उसकी भूमिका को समझने का प्रयास करते हैं.
वास्तव में क्या है साक्षरता
सारक्षरता की बात आते ही कोई भी व्यक्ति इसका अर्थ केवल पढ़ाई-लिखाई से ही लगाता है, लेकिन क्या वास्तव में अव्वल दर्जे की संस्था से डिग्री हासिल करना ही सारक्षता है? या साक्षरता का अर्थ किन्ही दूसरे अर्थों में भी होता है. जवाब है, जब व्यक्ति सामाजिक, मौलिक और आर्थिक विकास के लिए प्रशिक्षण हासिल करें और फिर उसी ज्ञान का प्रसार दूसरों लोगों के बौद्धिक ज्ञान में वृद्धि करने के लिए करें, वही साक्षरता है. वैसे अब अगर आकड़ों के आधार पर भी बात करें तो 2011 के सर्वे के अनुसार भारत की साक्षरता दर 74.4% है. वैसे दूसरा आकड़ा यह भी कहता है कि भारत की सारक्षरता दर विश्व की साक्षरता दर से 84% कम है. इस अंतर को कम करने के लिए हर स्तर पर काम किया जा रहा है, लेकिन साक्षरता में बढ़ोतरी के लिए बेहतर उपाय है कि सामाजिक विवेक में जागरूकता को भी साक्षरता का हिस्सा बनाया जाना चाहिए.
क्या कहती है इस साल की थीम
समाज को अशिक्षा रहित बनाने और साक्षरता का महत्व समझाने के लिए हर साल एक थीम के माध्यम से साक्षरता दिवस बनाया जाता है. इस साल अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2021 की थीम “मानव-केंद्रित पुनर्प्राप्ति के लिए साक्षरता: डिजिटल विभाजन को कम करना (Literacy for a human-centered recovery: Narrowing the digital divide) है.
डिजिटल वर्ल्ड ने भले ही व्यक्ति के जीवन को रफ़्तार देकर आसान बना दिया हो, लेकिन उसकी खूबियों को समझने के साथ ही उसकी ख़ामियों को जानकर उन्हें दूर करना भी व्यक्ति का ही काम है. इस बार की थीम के जरिए डिजिटल होती दुनिया ने व्यक्ति को किस तरह से विभाजित किया है? और किस तरह से व्यक्ति आधारित तकनीक की पुनर्प्राप्ति के लिए साक्षरता जरूरी है, इस बात के महत्व को विषय बनाया गया. इस थीम के माध्यम से मनुष्य की डिजिटली निर्भरता को कम करने का प्रयास किया गया है. समाज से अशिक्षा को दूर करने के साथ ही दूसरे पहलुओं के माध्यम से भी सामाजिक जागरुकता का यह अच्छा प्रयास है. साक्षरता मनुष्य की बड़ी जरुरत में से एक है, लेकिन यहाँ ध्यान यह भी रखना होगा कि तकनीक हमें कितना साक्षर बनाती है और खुद पर कितनी निर्भरता बढ़ाती है.