जीवन में अगर आप जिद के साथ रिस्क लेने की हिम्मत रखते हैं तो आपकी सफलता की राह में कोई भी समस्या ज्यादा देर तक नहीं टिक सकती है। ऐसी ही पक्की ज़िद और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ते रहे “Info Edge India Limited” के को-फाउंडर संजीव बिकचंदानी। आज फोर्ब्स मैगजीन से लेकर बिलेनियर इंडेक्स तक इनका नाम दुनिया के सबसे अमीर और सक्सेसफुल लोगों की लिस्ट में शामिल है। आज इनका जितना बड़ा नाम है उससे भी बेहतरीन है इनका काम।

संजीव बिकचंदानी की कम्पनी “इन्फो एज इंडिया लिमिटेड” वो कंपनी है जो Naukri.com और jeevansathi.com जैसे दो बड़े और सक्सेफुल प्लेटफॉर्म को ऑपरेट करती है। इसके अलावा रियल एस्टेट के क्षेत्र में 99acers.com और एजुकेशन के क्षेत्र में shiksha.com नाम से वेबपोर्टल भी शुरू कर चुके हैं। लेकिन इस बड़ी सफलता के पीछे संजीव बिकचंदानी का बड़ा संघर्ष भी छुपा है।

नौकरी छोड़ ठानी बिजनेस की जिद

बिकचंदानी ने आईआईएम अहमदाबाद से अपनी पढ़ाई की है, पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 1989 में  ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन नाम की एक कम्पनी में काम करना शुरू किया। इस कंपनी में लगभग एक साल काम करने के बाद उन्होंने अपना बिजनेस शुरू करने का फैसला किया, इसके लिए उन्होंने अपनी नौकरी को छोड़ने का फैसला किया। इस फैसले में संजीव की पत्नी सुरभि उनके साथ खड़ी रहीं। सुरभि ने भी आईआईएम अहमदाबाद से ही अपनी पढ़ाई की थी और जब संजीव ने जॉब छोड़कर खुद का बिजनेस शुरू करने का फैसला किया तो सुरभि ने जॉब करके घर की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाई।

संजीव ने 1990 में अपनी नौकरी छोड़ दी और “इन्फो एज इंडिया लिमिटेड” की शुरुआत की। कम्पनी को शुरू करते समय उनके पास नया कंप्यूटर खरीदने के भी पैसे नहीं थे इसीलिए एक सेकेंड हैंड कंप्यूटर के साथ उन्होंने बिजनेस को शुरू किया। संघर्ष का समय वो था जब संजीव कंपनी शुरू कर चुके थे लेकिन उस कंपनी से कोई कमाई नहीं हो रही थी। इस दौरान उन्हें एक अच्छी खासी जॉब छोड़कर घर बैठने के लिए और पत्नी की कमाई पर जीने वाले पति जैसे ताने सुनने को मिलते रहे।

संघर्ष के सात साल बाद मिला मेहनत का फल

ये सब ताने और संघर्ष झेलते हुए सात साल बाद वो वक्त आया जब संजीव बिकचंदानी को अपनी मेहनत का फल मिला। साल 1997 में जब उन्होंने जॉब पोर्टल Naukri.com को लॉन्च किया तो उनका वक्त ही बदल गया। इस पोर्टल को ऐसी सफलता मिली कि उन्होंने फिर कभी पीछे पलट कर नहीं देखा और एक के बाद एक सफलता मिलने से वे आगे बढ़ते चले गए। आज संजीव बिकचंदानी की कंपनी Zomato और Policy Bazar जैसी कंपनीज़ में भी निवेश करके उसमे हिस्सेदार बन चुकी है।

सफ़लता के इस सफ़र में संजीव बिकचंदानी के संघर्ष और मेहनत ने उन्हें इस मुकाम पर पहुंचाया है लेकिन इस सफ़र में उनकी पत्नी सुरभि का सहयोग भी नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता क्योंकि उन्होंने उस समय बिना तानो की परवाह किए संजीव का साथ दिया जब सबसे ज्यादा जरूरी था। संजीव बिकचंदानी की ये सक्सेस स्टोरी आपको कैसी लगी हमें कॉमेंट्स में जरूर बताएं।


LFP Plus by Dr Vivek Bindra