महाकाव्य महाभारत में कुल 18 अध्याय हैं. यह हमें जीवन में आमूल परिवर्तन लानेवाले सबक देते है. महाभारत वस्तुतः तीन खंडीय श्रृंखला है, जो किसी व्यवसाय की निजी और प्रोफेशनल दोनों ही जिंदगी को बदल सकता है. महाभारत में कुरुक्षेत्र युद्ध में कौरव और पांडव के बीच संघर्ष की कथा है. वेद व्यास द्वारा संस्कृत में लिखे इस महाकाव्य को बड़े सरल और सहज भाव से समझा जा सकता है. द्वापर युग में लिखे इस महाकाव्य के प्रत्येक शख्सियत की कहानी और युद्ध से परे एक और पहलू भी है, जो हमें अनमोल सबक सिखाता है.

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हम बचपन से धर्म, कर्म, पुनर्जन्म, आत्मा और मोक्ष के बारे में सुनते आये हैं. 3 से 4 हजार साल पुरानी कथा होने के बावजूद महाभारत का हर अध्याय हमारे सामने एक सबक होता है, जो कलयुग यानी वर्तमान में किसी की भी निजी और प्रोफेशनल जिंदगी को एक नया स्वरूप दे सकता है.

  • टीम से खेलना-

वाल्मीकि रामायण में त्रेता युग के राजा राम (विष्णु अवतार) नियम एवं सिद्धांतों पर चलनेवाले मुख्य पात्र है. जबकि विष्णुजी के ही अवतार श्रीकृष्ण महाभारत में नियमों से खेलते दिखते हैं. एक व्यवसायी का जीवन भी कुछ ऐसा ही होता है, कई बार बिज़नेस के नफा-नुकसान को देखते हुए नियम बनाये जाते है. और उसका पालन किया जाता है. सीखना जीवन भर की प्रक्रिया है और उसी के अनुसार अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण होता है.

  • सरल समाधान से निपटाएं संकट-

किसी भी व्यवसाय को शुरु करने से पूर्व हम अकसर बड़े कदम उठाते हैं, और उन्हें तार्किक तरीके से हल करने की कोशिश करते हैं. अर्जुन जब अपने धनुष की तलाश में युधिष्ठिर और द्रौपदी के कक्ष में प्रवेश करते हैं, तब द्रौपदी को अर्जुन का बिना अनुमति लिए कक्ष में प्रवेश करना अच्छा नहीं लगा था. तब द्रौपदी ने गुस्से में कहा था कि उसे मार देना चाहिए. हालाँकि युधिष्ठिर ने कहा था कि गुस्से में हमेशा कठोर कदम उठाना उचित नहीं. इसी तरह जब कोई कंपनी की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन करता है, तो जरूरी नहीं कि उसे प्रताड़ित ही किया जाए. क्षतिपूर्ति के और भी तरीके होते हैं. कई बार व्यक्ति साधारण दण्ड से भी अपनी गलतियां समझ जाता है.

  • आघात और अहंकार के परिणाम-

बीते हजारों सालों में कुछ भी नहीं बदला है. द्रौपदी ने दुर्योधन का मजाक उड़ाते हुए उसे अंध माता-पिता का अंधा-पुत्र कहा था. क्या वह नहीं जानती थी कि इस टिप्पणी का क्या हश्र हो सकता है? एक व्यवसायी को अकसर अपनी यात्रा में धैर्य की परीक्षा देनी पड़ती है. हम कई बार सफलता के शिखर पर पहुंच कर इस तरह के नकारात्मक असर को छोड़ देते हैं. किसी भी व्यवसाय को सफल बनाने के लिए दुश्मनों से अधिक दोस्तों की जरूरत होती है. एक व्यवसायी को बड़े और छोटे दोनों तरह के सहयोगियों से सहयोग और समर्थन की जरूरत रहती है. वरना उसका व्यवसाय सफल नहीं हो सकता.

  • जुआ सबकुछ छीन लेगा-

कौरव के साथ पासा का खेल खेलते हुए युधिष्ठिर अपना राज्य, धन, भाइयों यहां तक कि पत्नी द्रौपदी तक को भी दांव पर लगाकर हार जाते हैं. यह महाभारत के सबसे लोकप्रिय अध्यायों में से एक है. यह घटना आपको सिखाती है कि अकसर पुण्यकारी राजा भी हमेशा सकारात्मक सोच नहीं रखता है. बड़ी सफलता पाने के लिए अगर उद्यमी अपने होशियार कर्मियों को भी जोखिम में डाल देता है और परिणाम आपके खिलाफ आता है तो पल भर में सब कुछ चला जाएगा. आप वह चीज गंवा देंगे जिसे बनाने में वर्षों का समय लगा था.

  • दूसरों के बारे में भी सोचें-

जब करोड़ों का व्यवसाय चल रहा हो तब लगता है कि आप सारी दुनिया को नियंत्रित कर सकते हैं. लेकिन महाभारत हमें सिखाता है कि धर्म दूसरों के कल्याण के बारे में भी सोचता है. ऐसी ही एक घटना है, जब युधिष्ठिर से यक्ष सवाल जवाब के दौरान पूछता है कि वह उनके किसी एक भाई को जीवित कर सकता है. तब युधिष्ठिर भीम और अर्जुन जैसे महा-शूरवीर भाई के बजाय नकुल को जीवित करने की प्रार्थना करते हैं. यक्ष द्वारा सवाल पूछने पर युधिष्ठिर कहते हैं कि नकुल माद्री का बेटा है. इस तरह एक कुंती और माद्री के बेटे जीवित रहेंगे. शक्ति का असली मूल्य तभी है, जब आप इसका उपयोग दूसरों के लिए भी करें.  शीर्ष पर रहने वालों का कर्तव्य है कि वे अपने अधीन काम करने वालों के बारे में भी सोचें. सफल लोगों को धर्म की सैद्धांतिक समझ होती है, लेकिन आप इसे कैसे लागू करते हैं, यह आप पर निर्भर करता है.

  • सेवा देने वालों का रखें ध्यान-

जब पांडव जुए में अपना सब कुछ खोने के बाद 13वां साल वनवास में बिता रहे थे, तब अपनी पहचान छिपाने के लिए उन्होंने एक राजा के राज्य में सहायक की नौकरी की. जीवन में ऐसी भी विडंबना आती है जब मदद देने वाले मदद लेने के लिए हाथ फैलाते हैं. एक कंपनी निश्चित रूप से थिंक टैंक के कारण सफल होती है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम किसकी सेवा करते हैं. उनकी जिसने आपकी इमारत की नींव रखी. एक सफल व्यवसाय में चौकीदार से लेकर चपरासी तक और क्लीनर से लेकर मजदूर तक हर कोई हिस्सा होता है, जिसे आपने उनके सहयोग से ही खड़ा किया है.